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छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों को नहीं मिला उनका वाजिब हक सरकार किसी की भी हो सबने की उपेक्षा घोषणा पत्र समिति की संयोजक के पत्र के बाद भी मोदी की गारंटी नहीं हुई पूरी


(विजय सिंह ठाकुर)
एडिटर

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रायपुर प्रवक्ता. कॉम 24 दिसंबर 2025
राज्य सरकार ने मोदी की गारंटी के तहत किए गए अपने वादों को पूरा नहीं किया है। उसी की परिणीति है कि छत्तीसगढ़ में फिर से एक बार छत्तीसगढ़ के पौने पांच लाख सरकारी कर्मचारियों को 29 दिसंबर से 31 दिसंबर तक सरकारी काम काज ठप्प करके आंदोलन में उतरना पड़ रहा है।


अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के बैनर तले 120 से अधिक संगठनों ने “काम बंद कलम बंद “का नाम इस हड़ताल को दिया गया है।
सरकार ने इस हड़ताल को रोकने के लिए अभी तक कोई पहल नहीं की है जिससे यह बात साबित होती है कि सरकार को कर्मचारियों के मुद्दों से कितना सरोकार है । इस समय मुफ्त की योजनाओं पर सरकार को ज्यादा भरोसा है और कर्मचारियों की निष्ठा पर कम ।
गंभीरता नहीं दिखाई तो पड़ेगा बड़ा असर –


छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों की उपेक्षा पर समय रहते अगर सरकार और संगठन गंभीर नहीं हुई तो छत्तीसगढ़ की राजनीति को जानने वाले एक्सपर्ट का कहना है कि इसके तत्काल असर सरकार की सेहत पर भले ही न पड़े लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव जरूर होंगे क्योंकि राज्य को आगे बढ़ाने में इन्हीं कर्मचारियों का बड़ा योगदान होता है। यह वर्ग दिन रात मेहनत करता है और राज्य के हित में कार्य करता है। धीरे धीरे ही सही सरकार के प्रति कर्मचारियों के मन में निराशा और असंतोष की भावना बढ़ रही है जिसके कारण बेहद जायज हैं ।
नहीं मिली मोदी की गारंटी वित्त मंत्री को मानते हैं सबसे ज्यादा जिम्मेदार –


सरकार बनने के पहले कर्मचारियों के लिए सरकार ने जो घोषणा पत्र बनाई उसमें घोषणा पत्र समिति के प्रमुख दुर्ग सांसद विजय बघेल ने कर्मचारियों की मांगों और घरातल की स्थिति को भांपते हुए कई वादे किए थे जिसके तहत सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर करना,नियमित कर्मचारीयों संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण करने , कर्मचारियों को क्रमोन्नति प्रदान करने के साथ साथ कर्मचारियों को केंद्र के समान देय तिथि से महंगाई भत्ता प्रदान करने के वादे किए गए थे । न देय तिथि से महंगाई भत्ता नहीं मिला न ही उसका एरियर मिला । कर्मचारी कांग्रेस सरकार से बहुत नाराज थे लिहाजा उन्होंने बीजेपी को पूरा सहयोग किया और पोस्टल बैलेट सहित परिवार का भी वोट दिलाया जिसके एवज में उन्हें बीजेपी की सरकार से उम्मीद थी कि अब उनकी मांगों को पूरा किया जाएगा।
लेकिन सरकार से उनको अब तक निराशा ही हाथ लगी है।
मोदी की गारंटी पर सवालिया निशान खुद विजय बघेल ने मुख्यमंत्री को लिखा है –

इस संबंध में दुर्ग सांसद विजय बघेल ने अत्यंत ही संवेदनशीलता के साथ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा के पत्र के आधार पर मुख्य मंत्री को पत्र लिखकर लंबित डी ए और एरियर सहित सभी मांगों की पूर्ति के लिए आग्रह किया था ।जिस पर अभी तक संज्ञान नहीं लिया गया है।


ये सभी वादे कर्मचारियों से मोदी की गारंटी के तहत ही किए गए थे। देश में आज तक कहीं भी और किसी भी सरकार ने मोदी की गारंटी को अधूरा नहीं छोड़ा है । लेकिन छत्तीसगढ़ में दो साल के बाद भी यह अधूरा है । अगर पांच साल की भीतर यह पूरा नहीं हुआ तो आगामी चुनाव में बी जे पी के पास कर्मचारियों से किसी भी तरह के अन्य वायदे करने की जगह ही नहीं रहेगी ।इसीलिए अभी भी वक्त है जो कहा है उसे पूरा किया जाना चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री पर छत्तीसगढ़ के हर एक कर्मचारी का अटूट विश्वास है कि उनके नाम पर किया गए वादे को छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार जरूर पूरा करेगी ।

कांग्रेस ने भी यही गलती की थी – इस समय छत्तीसगढ़ में कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन का विगुल फूंक दिया है । देश भर में यह सूचना भी चल रही होगी कि इस समय सरकार से अगर कोई सबसे ज्यादा नाराज वर्ग कर्मचारी ही है । भूपेश बघेल की अनुवाई में कांग्रेस भी ठीक इसी तरह के प्रचार में मशगूल थी । कका अभी जिंदा है के नारे लगते थे उसके बाद भी सत्ता 75 सीट लाने के बाद भी कांग्रेस के हाथ से ऐसे फिसली जिस तरह 2019 में बीजेपी के हाथ से फिसली थी ।

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