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छत्तीसगढ़ में होगी जानवरों की बायोमेट्रिक ट्रिपल आईटी के रिसर्च टीम ने तैयार किया है सिस्टम

रायपुर प्रवक्ता.कॉम 6 नवंबर 2025

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इंसानों की तरह एआई सिस्टम से तैयार होगा जानवरों की बायोमेट्रिक पहचान
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  • मवेशियों के थूथन के पैटर्न से बनेगी उनकी यूनिक आइडेंटिटी, सिस्टम को मिला पेटेंट, एप भी तैयार
  • ट्रिपलआईटी की रिसर्च टीम ने तैयार किया हैं सिस्टम, जानवरों को पहचान होगा आसान

सिटी रिपोर्टर.रायपुर प्रवक्ता,.कॉम

इंसानों की तरह अब जानवरों की भी बायोमेट्रिक पहचान तैयार की जा सकेगी। नवा रायपुर स्थित ट्रिपलआईटी के रिसर्चर की टीम ने एक ऐसा एआई-आधारित एनसेम्बल लर्निंग सिस्टम डेवलप किया हैं जिसकी मदद से जानवरों की भी यूनिक आइडेंटिटी बनाई जा सकती है। इस इनोवेटिव सिस्टम को पेटेंट भी मिल गया है। रिसर्चर ने बताया कि जिस तरह इंसानों के उंगलियों के निशान अनोखे होते हैं, उसी तरह मवेशियों के थूथन के पैटर्न भी अनोखे होते हैं। एआई-आधारित एनसेम्बल लर्निंग सिस्टम का उपयोग करके इन थूथन की तस्वीरों को कैप्चर और विश्लेषण करके, यह तकनीक प्रत्येक पशु के लिए एक बायोमेट्रिक पहचान तैयार करती है। इसका एप भी तैयार कर लिया गया है। रिसर्च टीम में इंस्टीट्यूट के कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ संतोष कुमार, डाटा साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के असि. प्रोफेसर डॉ विजया जे., बीटेक स्टूडेंट आशुतोष सिंह और इशकुमार सवालिया शामिल हैं।

  • सिस्टम और एप ऐसे करेंगे काम
    टीम द्वारा बनाए गए एप में जानवरों की थूथन की फोटो लेने के बाद उसे एप में अपलोड करना पड़ेगा। जिसके बाद एआई बेस्ड सिस्टम फोटो का विशेषता निष्कर्षण, पहचान मिलान करने के बाद बायोमेट्रिक रिकॉर्ड तैयार करता है। उसके बाद ये पूरा डाटा सर्वर में सेव हो जाएगा। वही अभी जानवरों की पहचान के लिए उनमें टैग लगाए जाते है और उनके कान के कुछ हिस्से भी काटे जाते है। जिससे जानवरों को भी कई तरह का खतरा होता है। लेकिन इस नई थूथन-आधारित प्रणाली गैर-आक्रामक, अत्यधिक सटीक और बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा सकता है।वही एप की मदद से यदि कोई अपने जानवरों को किसी दूसरे को बेचता है तब भी उसका ऑनरशिप भी डिजिटली ट्रांसफर किया जा सकेगा।
  • सटीक ट्रैकिंग में मिलेगा फायदा

इस तकनीक के निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रमुख प्रभाव हैं:

कृषि और डेयरी फार्मिंग, पशुपालन, बीमा और धोखाधड़ी रोकथाम, पशु चिकित्सा स्वास्थ्य ट्रैकिंग में फायदा हो सकता है। इसके साथ ही प्रजनन कार्यक्रमों की सटीक ट्रैकिंग, विश्वसनीय स्वास्थ्य और टीकाकरण रिकॉर्ड, धोखाधड़ी वाले बीमा दावों की रोकथाम, पारदर्शी और छेड़छाड़-रहित पहचान सत्यापन किया जा सकेगा।

  • सड़कों से मवेशियों की संख्या में आएगी कमी

डॉ संतोष कुमार ने बताया, यह सिस्टम पशु पहचान में धोखाधड़ी और दोहराव जैसी पशुधन प्रबंधन की सबसे बड़ी चुनौतियों का समाधान करती है। साथ ही यह सरकारी सब्सिडी योजनाओं के लिए बेहद उपयुक्त है। एआई-आधारित थूथन पहचान के ज़रिए, सब्सिडी बिना किसी बिचौलिए के सीधे ग्रामीण किसानों को हस्तांतरित की जा सकती है। इससे भ्रष्टाचार कम करने और वास्तविक किसानों तक लाभ पहुंचाने में मदद मिलेगी। वही किसानों को हर महीने अपने थूथन की तस्वीर अपडेट करने की आवश्यकता होने से सड़कों पर आवारा मवेशियों की संख्या कम होगी। किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा, क्योंकि वे इन मवेशियों का स्वामित्व लेंगे और सरकारी सहायता प्राप्त करेंगे। इससे न केवल पशु कल्याण में सुधार होगा, बल्कि ग्रामीण आजीविका को भी बल मिलेगा।

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