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स्कूलों के युक्ति युक्तकरण की सूची जारी करने की 25 मई है डेड लाइन शासन और शिक्षक संगठन हैं आमने सामने

शासन सरकारी स्कूलों को खत्म करना चाहती है ,कमजोर एवं गरीब विद्यार्थियों की चिंता नहीं है , शिक्षा के अस्तित्व बचाने विरोध जरूरी

रायपुर प्रवक्ता.कॉम 24 मई 2025

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कल 25 मई है और शासन ने युक्ति युक्तकरण करण के संबंध में जो विस्तृत दिशा निर्देश जारी किया है उसके मुताबिक शासन प्रदेश में एक ही परिसर में संचालित स्कूलों के युक्ति युक्तिकरण की सूची जारी की कर सकती है ।

इस संबंध में शिक्षा सचिव ने छ.ग.शासन, स्कूल शिक्षा विभाग का पत्र क्र. एफ 2-24/2024/20-तीन, नया रायपुर, दिनांक 02.08.2024 के निर्देश का उल्लेख करते हुए निर्देश जारी किया है । जिसके अनुसार सभी प्रक्रियाओं के लिए समिति का गठन और तारीखों का उल्लेख करते हुए प्रकिया को निर्धारित किया गया है।

स्कूलों के युक्ति युक्तकरण सूची पर होगी सबकी नजरें –

अगर शासन कल स्कूलों के युक्ति युक्तकरण की सूची जारी कर देती है तो यह माना जा सकता है कि सरकार शिक्षक संगठनों की मांग को लेकर कितना संवेदनशील है ।

शिक्षक संगठन ने अभूतपूर्व एकता दिखाते हुए सामूहिक विरोध करते हुए 28 मई को मंत्रालय घेराव की दी है चेतावनी –

छत्तीसगढ़ राज्य के समस्त शिक्षक संगठन के साझा मंच द्वारा युक्तियुक्तकरण पर तत्काल रोक लगाने सहित चार सूत्रीय मांग का निराकरण करने के संबंध में 23 शिक्षक संगठनों के द्वारा संयुक्त ज्ञापन देकर युक्तियुकरण पर रोक सहित सभी मांगों पर एक सप्ताह के भीतर निर्णय लेने के लिए शासन को ज्ञापन दिया गया है । शासन द्वारा दिए गए समय पर निर्णय नही होने की स्थिति में दिनांक 28 मई को मंत्रालय घेराव करने की बात शिक्षक संगठनों ने कही है। ज्ञापन में शिक्षक संगठनों ने एक सप्ताह में समाधान नहीं होने की स्थिति में हम दिनांक 28/05/2025 को मंत्रालय घेराव के लिए बाध्य होंगे कहा गया है।समस्त शिक्षक और संगठन इसके लिए रणनीति भी बना रहे हैं। 28 मई का आंदोलन बड़ा और निर्णयकारी हो सकता है ।

युक्ति युक्तकरण का विरोध क्यों जरूरी है समझें

छत्तीसगढ़ से शिक्षा व्यवस्था पर संकट: “युक्तियुक्तकरण” या शिक्षकों की कटौती?

सरकार अब 60 बच्चों पर सिर्फ 2 शिक्षकों को पर्याप्त मान रही है,
जबकि निजी स्कूलों में इतने ही बच्चों पर 10-12 शिक्षक सहज उपलब्ध रहते हैं।

क्या पालक अपने बच्चों को ऐसी सरकारी व्यवस्था में पढ़ाना चाहेगा?
जवाब साफ है — नहीं।
और यही सरकार की नीति निजीकरण को खुला प्रोत्साहन दे रही है।

परिणाम क्या होंगे?

सरकारी स्कूलों से पलायन

गरीब और निम्न-मध्यम वर्ग के बच्चों का भविष्य अधर में

हजारों संभावित शिक्षक पद समाप्त

और एक पूरी पीढ़ी की शिक्षा का अधिकार सीमित

“युक्तियुक्तकरण” के नाम पर शिक्षक पदों में कटौती न केवल बेरोजगार युवाओं की आशाओं को तोड़ती है, बल्कि सरकारी शिक्षा प्रणाली की जड़ें भी कमजोर करती है।

आज आवाज नहीं उठाई तो कल शिक्षा सिर्फ अमीरों तक सीमित रह जाएगी।

शिक्षा अधिकार है, सुविधा नहीं।
शिक्षक भार नहीं, आधार हैं।

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