न्यूज पोर्टल के माध्यम से नेतागिरी करने वाले कुछ शिक्षक नेता प्राचार्य पदोन्नति पर फैला रहे हैं भ्रम बिना बी एड भी पदोन्नति होगी –अनिल शुक्ला
जो लोग भर्ती और पदोन्नति नियम तक नहीं जानते वो सवाल उठा रहे हैं ,जल्द ही पदोन्नति हेतु डीपीसी होगी
रायपुर प्रवक्ता.कॉम दिनांक 10 जनवरी 25
प्राचार्य पदोन्नति के लिए बीएड होना अनिवार्य नहीं,छत्तीसगढ़ उच्चनायलय के अधिकारिता समाप्त
प्राचार्य पदोन्नति के लिए छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्राचार्य के पदोन्नति कोटे के रिक्त ई संवर्ग के 1524 तथा टी संवर्ग के 1410 पदों के लिए भेजे गए व्याख्याता ,व्याख्याता एल बी,एवं प्रधान पाठक माध्यमिक विद्यालय के लगभग 3600 प्रस्ताव को छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिनांक 30 दिसंबर 2024 को डीपीसी हेतु छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग को भेजा है तथा डीपीसी की प्रक्रिया प्रारंभ है प्राचार्य पदोन्नति फोरम के हम सभी घटक संगठनों के प्रांताध्यक्ष एवं प्रांतीय संयोजक साथी लोक सेवा आयोग के माननीय अध्यक्ष जी से शीघ्र डीपीसी करने का अनुरोध भी 8 जनवरी को कर चुके हैं डीपीसी की प्रारंभिक प्रक्रिया जारी है किंतु कुछ विघ्न असंतोषी बीएड डिग्री धारी व्याख्याता एवं प्रधान पाठक माध्यमिक विद्यालय के साथ साथ कतिपय शिक्षक संगठनों के प्रांताध्यक्ष जो कि स्कूल शिक्षा विभाग में सिर्फ लेटर पैड एवं पोर्टल न्यूज की नेता गिरी करते है जो कि 17 दिसंबर को नया रायपुर के इंद्रावती भवन एवं महानदी भवन में विशाल प्रदर्शन को देखकर जिन्हें अपनी शिक्षक नेता गिरी की दुकान बंद होते दिख रही है तथा कानून का ज्ञान तो छोड़िए जिस विषय एवं क्लास का अध्यापन कार्य करते हो यदि उसकी परीक्षा ले ली जाय शत प्रतिशत अंक तो दूर की बात है परीक्षा में पास नही हो तो कोई अतिशयोक्ति नहीं। साथियों प्राचार्य के लिए व्याख्याता की पदोन्नति के समान बीएड अनिवार्य योग्यता करने की याचिका माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका क्रमांक7624/2024 अजय कुमार नाग एवं अन्य vs छत्तीसगढ़ शासन द्वारा डीबी में लगाई गई थी जिसमें दिनांक 26/11/2024 को चीफ जस्टिस माननीय रमेश सिंहा एवं जस्टिस माननीय अमितेश किशोर प्रसाद का फैसला आ चुका है जिसमें स्पष्ट कहा है कि NCTE 2012 का रूल भूत लक्षी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता अतः रूल2019 को ulta vires घोषित नहीं क्या किया जा सकता तथा याचिका को खरीच किया जा चुका है।किसी भी न्यायालीन प्रकरण ने डबल बेंच में मामला निराकृत होने के पश्चात उसी मैटर पुनः सुनवाई करने का प्रावधान नहीं है किंतु यह सरकारी वकील के ज्ञान की पराकाष्ठा है कि माननीय न्यायालय के संज्ञान में उसी बेंच के पारित आदेश को क्यों नहीं लाए अब सिर्फ प्राचार्य के लिए बीएड डिग्री की अनिवार्य का करने की SLP सिर्फ वही पिटिशनर लगा सकता है जिसकी पिटीशन हाई कोर्ट में खारिच हुई है।दूसरी महत्व पूर्ण सार्वभौमिक न्याय सिद्धांत की बात है जो कि माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला है कि यदि भारती या पदोन्नति की प्रक्रिया एक बार प्रारंभ हो जाय तो उस दौरान नियम में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। अतः मैं सभी साथियों से जो आगाह करता हू कि आप निश्चिंत रहे सिर्फ आप का लक्ष्य प्राचार्य पदोन्नति के आदेश जारी कराने पर हो। विघ्न असंतोषी शिक्षकों एवं उन सभी संगठनों को जो प्राचार्य पदोन्नति में किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं किए हो उन सभी लोगों को मेरे इस पोस्ट को जरूर उनके पर्सनल या उनके यूनियन ग्रुप ने फॉरवर्ड करे ताकि इस पोस्ट को पढ़कर अपना सामान्य ज्ञान अप डेट कर ले।