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बीजापुर जिला अस्पताल में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल जिस निविदा को निरस्त किया गया था उसी निविदा क्रमांक के आधार पर तत्कालीन कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने जारी किया मैनुअली वर्क आर्डर काम होने के पहले अग्रिम भुगतान भी किया गया सुशासन की सरकार में कैसे हुआ सब कुछ ?

रायपुर प्रवक्ता.कॉम 29 जुलाई 2025

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बीजापुर जिला अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए दो नग लिफ्ट मशीन स्थापित किया गया है। मातृ एवं शिशु संस्थान बीजापुर के इस लिफ्ट मशीन में भ्रष्टाचार का ऐसा खेल खेला गया है जिसे सुनकर आप दंग रह जाएंगे । सोच में पड़ जाएंगे कि क्या ऐसा भी होता है ।इस खेल में जिला अस्पताल के बाबू से लेकर जिला प्रशासन में बैठे जिला के तत्कालीन मुखिया तक संदेह के दायरे में है।

बिना टेंडर कैसे जारी हुआ वर्क आर्डर ,जैम पोर्टल के माध्यम से प्रकिया क्यों पूरी नहीं की गई –

बीजापुर जिला अस्पताल परिसर में ही मातृ एवं शिशु संस्थान में दो नग लिफ्ट मशीन स्थापित करने के लिए 8 9 2022 को बीजापुर जिला अस्पताल की ओर से जाम पोर्टल में ऑनलाइन निविदा जारी किया गया था जिसका अंतिम तिथि 03.10.2022 को रहा। इस निविदा में दो नग लिफ्ट मशीन स्थापित करने के साथ ही सिविल वर्क भी शामिल था जिसका अनुमानित लागत 65 लाख 50000 था।तकनीकी वजह से तत्कालीन सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर अभय प्रताप तोमर ने आनलाईन जेम पोर्टल में निविदा खुलने से पहले ही लिफ्ट मशीन की इस निविदा को निरस्त कर दिया। केंद्र सरकार के इस गवर्नमेंट ई मार्केट जेम पोर्टल में निविदा निरस्त होने के बाद फिर दोबारा इस कार्य को करने के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से निविदा जारी नहीं किया गया। इसके कुछ दिन बाद ही तत्कालीन सिविल सर्जन डॉक्टर अभय तोमर का स्थानांतरण अन्यत्र हो गया जिनमें जगह पर डॉक्टर ध्रुव ने सिविल सर्जन का पदभार ग्रहण किया। खेल यहां से शुरू हुआ टेंडर निरस्त करने के कुछ दिन के बाद ही डॉक्टर तोमर का स्थानांतरण हुआ। इसके कुछ माह बाद ही विभागीय खेल शुरू हुआ। इस खेल में सब शामिल हुए। जिला अस्पताल के बाबू से लेकर जिला प्रशासन के तत्कालीन मुखिया तक। दरअसल 31 मई 2023 को वह हुआ जो नहीं होना था ।भंडार क्रय नियमों को किनारे कर एक ऐसा आदेश जारी किया गया जो सीधा भ्रष्टाचार का सबूत बन गया है।

कलेक्टर ने मैनुअली कार्यादेश किस नियम के तहत जारी किया इसकी जांच आवश्यक –

31 मई 2023 को तत्कालीन कलेक्टर राजेंद्र कटारा के हस्ताक्षर युक्त एक मैनुअली कार्य आदेश जारी हुआ ,जिसमें L1 के आधार पर धमतरी की कंपनी वन मंत्रा को लिफ्ट मशीन स्थापित करने का आदेश था। इस कार्य आदेश में वही निविदा क्रमांक का जिक्र किया गया जो कि पहले से ही निरस्त किया जा चुका था। दोबारा कभी भी इसके लिए निविदा जारी नहीं हुआ ।ऐसे में जो टेंडर निरस्त हो चुका था उसी पर कलेक्टर के द्वारा कार्य आदेश जारी करना कई संदेश को जन्म देता है और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। वैसे भी गवर्नमेंट ई मार्केट जेम पोर्टल से अगर निविदा जारी होता है तो उसका कार्यादेश भी कंप्यूटर जनरेटेड होता है ना कि मैनुअली कार्यादेश जारी होता है ।
अब आप सोचेंगे कि कलेक्टर ने जिला अस्पताल बीजापुर के सिविल सर्जन के रहते कार्यादेश पर स्वयं क्यों हस्ताक्षर किए , तो इसका जवाब तत्कालीन कलेक्टर साहब को जरूर देना चाहिए ।
कार्यादेश के साथ ही भुगतान भी हुआ_ दिलचस्प बात तो यह है कि निविदा निरस्त होने के बावजूद कंपनी को कार्य आदेश तो जारी किया ही गया साथ ही कार्य शुरू होने से पहले ही उसे अग्रिम भुगतान भी किया गया। 65 लाख 50 हजार के इस कार्य के एवज में लगभग 18 लाख रुपए कंपनी को अग्रिम भुगतान भी किया गया। आज 3 साल से अधिक समय हो गए लिफ्ट मशीन शुरू नहीं हुआ है। जनता के हित , पैसे और समय सब पानी में बह गया है जिसमें जिम्मेदार लोग हाथ धोते बैठे हुए हैं।


भ्रष्टाचार की ओर इशारा _ इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस गड़बड़ झाला को अधिकारियों ने सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए ही किया है। इसमें चाहे कोई भी शामिल हो या चाहे किसी के इशारे पर किया गया हो लेकिन भ्रष्टाचार तो हुआ है और जमकर हुआ है। भंडार क्रय नियमों को तक पर रखकर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी अपनी कलम ऐसे ही नहीं रगड़ता है, इसके एवज में संबंधित अधिकारियों को मोटी रकम जरूर मिली होगी ।
दस्तावेज _ इस प्रकरण से संबंधित समस्त दस्तावेज की कॉपी प्रवक्ता .कॉम के पास उपलब्ध है । उपलब्ध दस्तावेज इस बात को प्रमाणित करता है कि कैसे अधिकारी चाहे तो कुछ भी कर सकते हैं। असंभव को संभव करना उनको पता है चाहे उनके द्वारा किए जा रहे वो कार्य सही हो या गलत।
जांच कार्यवाही पर संदेह _

अंदरूनी सूत्रों से पता चला है कि वर्तमान कलेक्टर ने इस पूरे प्रकरण की फाइल अपने पास तलब किया है लेकिन चुकी मामला तत्कालीन कलेक्टर से जुड़ा है लिहाजा वर्तमान कलेक्टर भी मामले को दबाने में लगे हुए हैं इधर जिला अस्पताल बीजापुर के तत्कालीन सिविल सर्जन मैडम सब जानते हुए भी अपने विभाग में हुए भ्रष्टाचार पर खामोशी बनाए हुए है ।

क्या सुशासन सरकार प्रकरण की जांच कराएगी –

भ्रष्टाचार पर छत्तीसगढ़ सरकार की पॉलिसी जीरो टॉलरेंस की है । इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच एक टीम बनाकर करवानी चाहिए, जिससे यह खुलासा हो सके कि आखिर कार ऊंचे पद पर बैठे हुए अधिकारी नियमों को अपने पद के प्रभाव में किस तरह कुचल रहे हैं । सरकार ने जिस तरह पीएससी गड़बड़ी मामले ,शराब घोटाले में कार्यवाही की है उसी तरह इसकी भी जांच करवाकर दोषियों को अवश्य ही दंडित करेगी । यह उम्मीद बीजापुर की जनता को है ।

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