छत्तीसगढ़ में हुए नान घोटाले की जांच अब सी. बी. आई. करेगी
2015 में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ था
छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित नागरिक आपूर्ति निगम में हुए घोटाले की जांच पर आर्थिक अपराध शाखा में एफ. आई .आर .दर्ज की गई थी । घोटाले की आंच सत्ता और प्रशाशन से जुड़े कई लोगों तक पहुंची है।इस घोटाले में अभी भी न्यायालयीन कार्यवाही लंबित है ।इसी बीच
राज्य सरकार ने अब इस मामले की जांच सी बी आई से कराने का निर्णय लिया है। इस बहुचर्चित घोटाले में पूर्व आई. ए .एस. अनिल टुटेजा ,पूर्व की सरकार में शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव रहे आलोक शुक्ला एवं पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के विरुद्ध अपराध दर्ज किए गए थे।
सरकार ने सी. बी. आई .जांच की अधिसूचना भी जारी कर दी है।
ज्ञात हो कि ये तीनों कांग्रेस सरकार में अहम पदों पर रहे हैं।नान घोटाले में अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और सतीश चंद्र वर्मा पर आरोप है कि इन्होंने प्रकरण से जुड़े गवाहों पर दबाव डालकर साक्ष्य को प्रभावित करने का प्रयास किया था।
क्या है नॉन घोटाला–हुआ क्या था–
छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन ,नियंत्रण एवं मॉनिटरिंग करती है। 2015 में राज्य की ए. सी. बी. ने 12 फरवरी को छापा मारकर नान के मुख्यालय से दस्तावेज की बरामदगी की थी ।एक साथ कई जगहों में ये छापे पड़े थे।जिसमें कई प्रमुख लोगों से डायरी, हार्ड डिस्क भी मिले थे।
इस घोटाले में लाखों क्विंटल गुणवत्ता विहीन चावल की आपूर्ति के बदले भ्रटाचार किया गया ,जो करोड़ों में थी।
शुरुवात में नागरिक आपूर्ति निगम के तात्कालिक प्रबंध संचालक और अन्य लोगों के विरुद्ध एफ. आई .आर दर्ज हुआ था। दो आई. ए. एस .अधिकारी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला पर भी एफ आई .आर .दर्ज किए गए।
आर्थिक अपराध ब्यूरो में,दर्ज अपराध
इस प्रकरण को बाद में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को दे दिया गया ।जिसमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धाराओं के तहत, धारा 7 के उपधारा 7(क),और तात्कालिक आई .पी. सी. की धारा 181,211,193,195(अ) एवं षड्यंत्र में शामिल होने और रचने की धारा 120,(बी) के तहत अपराध दर्ज किए गए।
आलोक शुक्ला शिक्षा विभाग में भी रहे, बदनाम
भूपेश बघेल के कार्यकाल में जब आलोक शुक्ला प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा थे, तब भी इनके ऊपर पद का दुरुपयोग कर समग्र शिक्षा के माध्यम से एक किलोल पत्रिका के जरिए उगाही और संकुल समन्वयकों से पैसे लिए जाने का मामला आया था।
इनका निजी व्यवहार भी शिक्षकों के बीच चर्चा में रहा ।पद के दुरुपयोग करते हुए भ्रटाचार के मामले के चलते विधानसभा में इनसे जुड़े किलोल पत्रिका में घोटाले गूंज उठी थी।