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हर्बल लाइफ के सेल्समैन को शिक्षक की गरिमा का ज्ञान नहीं ऐसे कारोबारी शिक्षक नहीं पैसे के भूखे हैं– जाकेश साहू

हर्बल लाइफ के पैकेट बेचने वाले सेल्समैन टाइप शिक्षकों को दिखाया आईना

रायपुर प्रवक्ता.कॉम दिनांक 9 जनवरी 25
प्रदेश के कुछ ऐसे शिक्षक जिन्होंने सोशल मीडिया में पत्र वायरल कर स्कूलों को चिड़ियाघर कहते हुए इस्तीफा दे दिए हैं। पता चला है कि ऐसे शिक्षक कई दिनों से हर्बल लाइफ में काम कर रहे हैं। साथ ही साथ कई प्रोडक्ट कंपनी में काम कर मोटी रकम कमा रहे हैं और अत्यधिक पैसा कमाने के बाद इनको लग रहा है कि शिक्षक की नौकरी कोई काम की नहीं है और ये लोग सरकारी स्कूल और शिक्षक जैसे पवित्र पैसे को यह कहकर बदनाम कर रहे हैं कि विद्यालय एक चिड़ियाघर है।

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उपरोक्त मामले में अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जाकेश साहू ने राज्य सरकार को पत्र लिखते हुए यह मांग किया है कि ऐसे शिक्षकों की प्रथम नियुक्ति तिथि से अब तक की विभागीय जांच हो एवं ऐसे लोगों पर कानून की विभिन्न धाराओं की तहत एफआईआर दर्ज कर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जाकेश साहू ने कहा है कि शिक्षा एवं शिक्षक एक पवित्र कार्य है। बच्चों को ज्ञान देना दुनिया का सर्वश्रेष्ठ काम है।इसको रूपए पैसे से नहीं आका जाता।
शिक्षक को गुरु का दर्जा दिया गया है। शिक्षक बच्चों को ज्ञान देता है, भविष्य की नींव तैयार करता है, बच्चों का भविष्य बनाता है, इसके एवज में शिक्षक कभी भी रुपए की मांग नहीं करता।
यह बात ठीक है कि शिक्षकों को एक अच्छा वेतनमान मिलना चाहिए। और शिक्षकों के वेतन को लेकर विभिन्न शिक्षक संगठन लगातार मांग करते रहे हैं। यदि वेतन में कमी है तो आंदोलन धरना प्रदर्शन इसके लिए होता है। समय-समय पर सरकार से तनख्वाह बढ़ाने की मांग की जाती है।
यह अलग विषय है कि सरकार और कर्मचारियों के बीच हमेशा वर्ग संघर्ष रहा है और रहेगा परंतु कुछ शिक्षक जो हर्बल लाइफ एवं विभिन्न एजेंसीयों के माध्यम से पैसा कमा रहे हैं, उनको पैसा ही सब कुछ दिख रहा है।
शिक्षक जो स्कूल समय के बाद कोई दुकानदारी कर रहे हैं, कोई खेती कर रहे हैं, कोई अन्य कार्य कर रहे हैं। यह एक अलग विषय है। कोई भी नौकरी पेशा कार्य समय के बाद या पहले पार्ट टाइम के रूप में कोई अन्य कार्य कर सकता है। यह एक अलग विषय है।
यदि किसी को नौकरी प्यारी नहीं है। नौकरी नहीं पसंद आ रहा है या नौकरी अच्छा नहीं लग रहा है, तो ये लोग नि:संदेह अपने पदों से इस्तीफा दे सकते है।
लेकिन इस्तीफा पत्र में स्कूलों को चिड़ियाघर कहकर इस्तीफा देना यह कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। स्कूल चिड़ियाघर नहीं है बल्कि विद्या का मंदिर है। इसमें प्रदेश के नौनिहालों बच्चों का भविष्य गढ़ा जाता है। 99.99 प्रतिशत शिक्षक ईमानदार है जो अपने ईमानदारी और कर्तव्य परायणता से बच्चों को शिक्षा दे रहे है। और यही बच्चे आज देश-विदेश में नौकरी, व्यापार और काम धंधे कर देश प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं।
शिक्षकों के द्वारा पढ़ाए गए बच्चे आज राजनेता, कलेक्टर, एसपी, डॉक्टर इंजीनियर आदि सभी पदों पर पहुंच रहे हैं। लेकिन निजी कंपनी एवं हर्बल लाइफ का काम करने वाले लोग इस प्रकार से यदि विद्या के मंदिर को चिड़ियाघर कहकर बदनाम करेंगे तो यह कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
शिक्षक एवं कर्मचारी नेता जाकेश साहू ने राज्य सरकार से मांग की है कि ऐसे शिक्षकों की पहचान कर इन पर कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही जिन्होंने चिड़ियाघर कहते हुए इस्तीफा दिया है इनके नौकरी के प्रथम नियुक्ति तिथि से उनकी विभागीय जांच की जाए और उन पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए।

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