राजनैतिक संरक्षण में वनों की अवैध कटाई से पंडरिया विकासखंड के जंगल मैदान में बदल रहे वन विभाग की भूमिका पर भी सवालिया निशान? अवैध कटाई का मामला भी विधानसभा में उठना चाहिए जिससे दोषियों को सजा मिल सके
रुखमीददार में भी कटाई-पंडरिया पश्चिम रेंज के अंतर्गत ग्राम रुखमीददार व टेड़ापनी में करीब सप्ताह भर पहले लगभग पांच एकड़ पहाड़ी क्षेत्र के वनों की कटाई ग्रामीणों ने खेत बनाने के लिए कर दी।यहां भी अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।पहाड़ी क्षेत्रों में जंगलों को खेत बनाकर अतिक्रमण का कार्य लंबे समय से चल रहा है
पंडरिया / प्रवक्ता.कॉम 15 अप्रैल 2025
पंडरिया-ब्लाक के जंगल लगातार मैदान में तब्दील होता जा रहा है।इसका मुख्य कारण लकड़ी तस्करों व अतिक्रमण करियों पर कठोर कार्यवाही नहीं होने को माना जा रहा है।हजारों पेड़ काटे जाने के बाद भी वन विभाग व कार्रपोरेशन कारवाही के लिए तत्पर दिखाई नहीं पड़ता है।मंगलवार 8 अप्रैल को वन विकास निगम के कक्ष क्रमांक 1467 व 1468 में एक हजार से अधिक नीलगिरी के पेड़ को खेत बनाने के लिये ग्रामीणों द्वारा काट दिया गया।जिसमें लिप्त लोगों तक विभाग एक सप्ताह बाद भी नहीं पहुंच पाई है।पंडरिया वन क्षेत्र के अन्तर्गत वन विकास निगम में कोई जिम्मेदार कर्मचारी नहीं है।उनके द्वारा कार्यवाही के संबंध में कोई जवाब नहीं दिया जाता है। एक रात में हजारों पेड़ काटे जाने की घटना वन विभाग के लिए कोई बड़ी घटना नहीं है।यही वजह है कि अतिक्रमण के लिए जंगलों पर लगातार कुल्हाड़ी चल रही है।विभाग के लोग कार्यवाही करने के बजाए मामले को दबाने का प्रयास करते हैं।अतिक्रमण करियों से कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण ही जंगल काटे जा रहे हैं।जंगल काटने वालों को राजनैतिक संरक्षण के साथ विभाग के कर्मचारियों का भी संरक्षण मिला रहता है।जिसके कारण उन्हें कार्यवाही का कोई भय नहीं रहता है।जब तक विभाग ऐसे अतिक्रमणकारियों के ऊपर ठोस कार्यवाही नहीं करेगा तब तक जंगलों की कटाई नहीं रुकेगी।
भड़का से मांठपुर के बीच जंगल के पेड़ो को काट कर खेती किया जा रहा है। माठपुर के जंगल मे भी हो रही खेती– ब्लाक के ग्राम पंचायत माठपूर से भड़गा तक सड़क किनारे वन विभाग पंडरिया पूर्व रेंज के बिट क्रमांक 520,521,522,523 के जंगलों के सरई , बीजा,महुआ, साजा,आदि के घने पेड़ थे।जिन्हें भी काट कर खेत बना दिया गया है।जिसमें खेती जा रही है।सन 2011-12में पंचायत द्वारा वन विभाग के अधिकारी के साठगांठ कर 408 लोगो को वन अधिकार का पट्टा दे दिया गया।इन चारो बिट के सैकड़ों पेड़ो को काट दिया गया मुख दर्शक बने वन विभाग के अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।जिसका परिणाम यह हुआ कि क्षेत्र में अतिक्रमण की होड़ लग गई तथा क्षेत्र के लोग वनों को काटकर अतिक्रमण करने में जुट गए।फिर एक बार यही प्रक्रिया दोहराई जा रही है।इसके बावजूद वन विभाग कार्यवाही नहीं कर रहा है।
रुखमीददार में भी कटाई-पंडरिया पश्चिम रेंज के अंतर्गत ग्राम रुखमीददार व टेड़ापनी में करीब सप्ताह भर पहले लगभग पांच एकड़ पहाड़ी क्षेत्र के वनों की कटाई ग्रामीणों ने खेत बनाने के लिए कर दी।यहां भी अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।पहाड़ी क्षेत्रों में जंगलों को खेत बनाकर अतिक्रमण का कार्य लंबे समय से चल रहा है।कार्यवाही नहीं होने के पीछे राजनैतिक संरक्षण व मैदानी कर्मचारियों की मिलिभगत है।इसके चलते क्षेत्र का जंगल अतिक्रमण के भेंट चढ़ते जा रहा है।
पट्टे के लिए काटते है जंगल-लोग मुख्य रूप से जंगलों की कटाई पट्टा के लिए करते हैं।शासन द्वारा वन क्षेत्र में काबिज लोगों को पट्टा दिया जाता रहा है।जिसके चलते लोग जंगलों को काटकर कब्जा करते हैं।गरगरा के घने जंगलों में भी 82 हेक्टेयर पट्टा का वितरण किया गया था।जिसमें अब तक लोग काबिज नहीं है।गरगरा में पट्टा 82 हेक्टयर पर बांटा गया है।जबकि यहां अतिक्रमण करीब 200 हेक्टेयर ओर हो गया है।अधिकतर लोगों के पास पट्टा भी नहीं है।इसके बावजूद वन विकास निगम खाली नहीं करा आया रहा है ।शासन द्वारा ऐसे लोगों को पट्टा देना चाहिए जिसके पास रहने के जमीन न हो।किन्तु शासन द्वारा बिना परीक्षण के 10 एकड़ से अधिक जमीन वालों को भी पट्टा दे दिया गया है।सभी पट्टेधारियों की जमीन की जांच कर कार्यवाही करनी चाहिए।
विभागीय अधिकारी का इस संबंध में कथन –
“भेडागढ़ में पेड़ों की कटाई के बाद जांच की गई।पूछताछ जारी है।दोषियों के ऊपर जल्द ही कठोर कार्यवाही की जाएगी।”
दीपिका सोनवानी,परियोजना रेंजर कवर्धा