टीईटी अनिवार्यता आदेश के विरुद्ध शिक्षक दायर करेंगे पुर्नविचार याचिका देश भर के लाखों शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के आदेश से चिंतित
मामला 2011 से पहले नियुक्ति हुए शिक्षकों के बारे में है क्योंकि 2011 में टीईटी की गाइडलाइन आ गई थी और टीईटी लागू हो गया था इसलिए उसके बाद जो भी भर्तियां हुईं उनमें टीईटी पास उम्मीदवार ही भर्ती हुए हैं।
दिल्ली /लखनऊ/ रायपुर /प्रवक्ता.कॉम 02 सितंबर 2025
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को नई राष्ट्रीय नीति के तहत दो साल के भीतर टीईटी परीक्षा पास करने की अनिवार्यता के आदेश के चलते देश भर के लाखों ऐसे शिक्षक जिनकी भर्ती को 10 साल से भी अधिक हो गए हैं और जिन्होंने अभी तक टीईटी की परीक्षा पास नहीं किया है उन्हें मानसिक तौर पर बहुत चिंतित कर दिया है। नौकरी के इतने वर्षों के बाद इस तरह की परीक्षा दिलाना थोड़ा असहज करने वाला निर्णय लग रहा है।
क्या है टीईटी , इस संबंध में न्यायालय ने क्या कहा –?
TET यानी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) , इस पर देश की सर्वोच्च न्यायालय ने 2 सितंबर 2025 को यह फैसला उत्तर प्रदेश के शिक्षकों के प्रमोशन के संदर्भ में हो रही प्रकरण की सुनवाई के दौरान आया जिसमें शिक्षकों को पदोन्नति लिए TET को अनिवार्य माना गया है, यह फैसला खासकर उन लोगों के लिए जो नई नियुक्ति चाहते हैं या प्रमोशन पाना चाहते हैं। हालांकि, जिन शिक्षकों की सेवा अवधि 5 साल से कम बची है, उन्हें TET पास करने से छूट दी गई है, लेकिन अगर उन्हें प्रमोशन चाहिए तो TET पास करना होगा। यह फैसला अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों पर अभी लागू नहीं होगा और इस पर पुनर्विचार के लिए एक बड़ी बेंच गठित की जा सकती है।
फैसले के मुख्य बिंदु:
- नई नियुक्ति और प्रमोशन के लिए TET अनिवार्य:शिक्षक बनने के लिए या मौजूदा शिक्षकों को प्रमोशन पाने के लिए TET (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास करना अनिवार्य होगा।
- 5 साल से कम सेवा वाले शिक्षक:जिन शिक्षकों की नौकरी में 5 साल से कम समय बचा है, उन्हें अपनी सेवानिवृत्ति तक TET पास करने से छूट दी गई है।
- 2 साल की छूट:जिन पुराने शिक्षकों की सेवा अवधि 5 साल से अधिक है, उन्हें TET पास करने के लिए 2 साल का समय दिया गया है।
- अल्पसंख्यक संस्थानों को फिलहाल छूट:यह फैसला अभी अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों पर लागू नहीं होगा, क्योंकि इस मामले को एक बड़ी बेंच (7 जजों की बेंच) में भेजा जा सकता है जो यह तय करेगी कि क्या RTE कानून अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू होता है।
मुख्य कारण:
- राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) ने साल 2020 में ही TET को क्लास 1 से 8 तक के शिक्षकों के लिए अनिवार्य योग्यता तय किया था।
- सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
असर:
- इस फैसले से देश भर में लाखों शिक्षक प्रभावित होंगे।
- यह शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव ला सकता है, लेकिन इसे लागू करने में बड़ी चुनौतियाँ भी आ सकती हैं।
अब शिक्षक क्या कर सकते हैं ?
कक्षा एक से आठ तक को पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी परीक्षा पास करने की अनिवार्यता के फैसले के खिलाफ शिक्षक सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की सोच रहें हैं। उनका कहना है कि कई मुद्दे हैं जिन्हें आधार बना कर फैसले पर पुनर्विचार करने का सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया जाएगा।
किन पर लागू होगा यह फैसला?
फैसला उन शिक्षकों पर भी लागू होगा जिनकी नियुक्ति शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून लागू होने से पहले हुई थी। हालांकि जिन लोगों की नौकरी पांच वर्ष से कम की रह गई है उन्हें कोर्ट ने बिना टीईटी के नौकरी में बने रहने की छूट दी है लेकिन उनके लिए भी शर्त है कि अगर उन्हें प्रोन्नति लेनी है तो टीईटी पास करना होगा। प्रोन्नति पाने के लिए भी टीईटी पास करना जरूरी है।
इस मामले में उत्तर प्रदेश के कुछ शिक्षकों की ओर से पेश होकर सुप्रीम कोर्ट में बहस करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील राकेश मिश्रा कहते हैं कि वे फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। उनके मुवक्किलों ने जो अर्जी दाखिल की थी उसमें प्रोन्नति के लिए टीईटी परीक्षा पास करने की अनिवर्यता से छूट मांगी गई थी।
नौकरी में बने रहने के लिए TET जरूरी- SC
अर्जीकर्ता शिक्षकों का कहना था कि उनकी नौकरी सिर्फ तीन-चार साल की बची है ऐसे में उन पर प्रोन्नति के लिए टीईटी पास करने की अनिवार्यता न लगाई जाए। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अब जो आदेश दिया है उसमें प्रोन्नति के लिए तो टीईटी पास करना अनिवार्य है ही बल्कि नौकरी में बने रहने के लिए भी टीईटी पास करना जरूरी कर दिया गया है।
इससे लंबे समय से नौकरी कर रहे देश भर के शिक्षकों के लिए नयी मुश्किल खड़ी हो गई है। रिव्यू में यह आधार दिया जाएगा कि अगर कोर्ट को ऐसा आदेश देश भर के लिए करना था तो उसे सभी राज्यों को नोटिस जारी करना चाहिए था और सभी राज्यों में इस वर्ग के शिक्षकों की क्या स्थिति है उसके आंकड़े आदि लेकर उस पर बहस सुननी चाहिए थी जो नहीं सुनी गई। जो पुनर्विचार दाखिल की जाएगी उसमें कोर्ट से टीईटी परीक्षा पास करने के लिए तय किया गया दो वर्ष का समय बढ़ाए जाने की भी मांग की जाएगी।
क्या है नियम?
अभी नियम के मुताबिक हर छह महीने में टीईटी परीक्षा होनी चाहिए ऐसे में दो साल में चार बार परीक्षा होगी अगर कोर्ट इस समय को बढ़ा देता है तो शिक्षकों को ज्यादा बार परीक्षा में बैठने और पास करने का मौका मिलेगा।
फैसले का प्रभाव बहुत दूरगामी है क्योंकि ये फैसला सिर्फ सरकारी स्कूलों पर ही नहीं बल्कि सरकारी के साथ ही सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त सभी में पढ़ाने वाले शिक्षकों पर लागू होता है। बस ये समझ लीजिए कि जो भी कक्षा एक से कक्षा आठ तक को पढ़ा रहा है उसे टीईटी परीक्षा पास करना अनिवार्य है:- SC के वकील राकेश मिश्रा
उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिला अध्यक्ष राहुल पांडेय का कहना है कि इस फैसले के खिलाफ सभी शिक्षकों को संगठित होकर अगला कदम उठाना होगा क्योंकि अभी तक शिक्षक मुकदमा लड़ रहे थे कि उन्हें प्रोन्नति के लिए टीईटी न देना पड़े लेकिन अब जो फैसला आया है उससे तो उन्हें नौकरी में बनने रहने के लिए भी टीईटी परीक्षा पास करनी होगी।
‘लाखों शिक्षकों के सामने खड़ी हुई चुनौती‘
शिक्षको के लिए टीईटी अनिवार्य करने के फैसले से देश में कार्यरत लाखों शिक्षकों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं अब उन्हें नौकरी में बने रहने के लिए टीईटी परीक्षा पास करनी होगी जो उनके लिए बड़ी दिक्कत साबित हो सकती है:- ऑल इंडिया बीटीसी शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल यादव
ये सारा मामला 2011 से पहले नियुक्ति हुए शिक्षकों के बारे में है क्योंकि 2011 में टीईटी की गाइडलाइन आ गई थी और टीईटी लागू हो गया था इसलिए उसके बाद जो भी भर्तियां हुईं उनमें टीईटी पास उम्मीदवार ही भर्ती हुए हैं।
टीईटी पास करना होगा जरूरी
टीईटी भी दो स्तर का है एक प्राइमरी के लिए टीईटी जो कक्षा पांच तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को करना होता है और दूसरा अपर टीईटी ये कक्षा छह से आठ को पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए जरूरी है। अनिल यादव ने कहा कि अगर किसी शिक्षक को प्राथमिक शिक्षक से जूनियर शिक्षक के रूप में प्रोन्नत होना है तो उसे अपर प्राइमरी टीईटी पास करना होगा।