EducationNewsछत्तीसगढ़

सरकार कहती है शिक्षा ही है सर्वोच्च प्राथमिकता फिर छत्तीसगढ़ राज्य शिक्षा आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति क्यों नहीं ? आयोग होता तो ये अव्यवस्थाएं भी नहीं होतीं !

छत्तीसगढ़ शिक्षा आयोग में अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति है बेहद जरूरी , देश के कई राज्यों में है शिक्षा से संबंधित आयोग , शिक्षक संगठन और सरकार के बीच आयोग रख सकता है बेहतर समन्वय


रायपुर प्रवक्ता.कॉम 1 जून 2025
छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा शिक्षा आयोग में अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति नहीं की गई है ।
शिक्षा जैसे सर्वाधिक महत्वपूर्ण आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने के पीछे क्या राजनीति है यह समझ से परे है ।
शासन ने रातों रात 34 अधिक निगम , मंडल और आयोग में नियुक्ति की है लेकिन शिशा आयोग में नहीं ऐसा क्यों यह सवाल सबके मन में है, एक तरफ सरकार सोशल मीडिया में दिन रात सरकारी तंत्र के माध्यम बयान जारी करते हैं कि शिक्षा ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है सरकार की प्राथमिकताओं में फिर आयोग में नियुक्त के संबंध उदासीनता क्यों बरती जा रही है।
संघ के माध्यम से भी आयोग में नियुक्ति को लेकर सरकार तक बात फिर भी नियुक्ति नहीं ·
छत्तीसगढ़ में शिक्षा आयोग की नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री तक बात विभिन्न माध्यमों से बात पहुंचाई गई है उसके बाद भी नतीजा सबके सामने है , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सर्वाधिक शिक्षक ही अलग अलग दायित्व में संघ कार्य के माध्यम से राष्ट्र हित में कार्य कर रहे हैं ।सबसे ज्यादा स्वयंसेवक भी शिक्षक संवर्ग हैं उसके बाद भी छात्र एवं शिक्षकों के हित में कार्य करने के लिए शिक्षा आयोग में नियुक्ति की उपेक्षा की जा रही है।

Join WhatsApp


जरूरी क्यों है शिक्षा आयोग में नियुक्ति इस समझें –
छत्तीसगढ़ राज्य में 49000 हजार से अधिक विद्यालय हैं जिनमें लाखों छात्र अध्ययनरत हैं। दो लाख से अधिक शिक्षक हैं ।21 हजार करोड़ से अधिक का बजट है । शिक्षा के क्षेत्र में नित नवीन योजनाओं के निर्माण, पुस्तकों के लेखन , गुणवत्ता पूर्ण शैक्षिक पाठ्यक्रम ,शिक्षक प्रशिक्षण, छात्रों के चरित्र निर्माण , शिक्षकों के कल्याण के लिए योजना बनाना, छात्रों ने राष्ट्रवाद और चरित्र निर्माण के लिए शिक्षा आयोग के माध्यम से बेहतर कार्य किया जा सकता है ।
केंद्रीय स्तर में आज शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा के अधिकार अधिनियम, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू गई है ।उसके छत्तीसगढ़ में बेहतर क्रियान्वयन के लिए भी शिक्षा आयोग का पूर्ण स्वरूप में गठन जरूरी है।

छत्तीसगढ़ राज्य की स्कूली संरचना –

छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 56,895 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 1,78,731 शिक्षक हैं. 51,67,357 से अधिक छात्र-छात्राएं इन स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं. हालांकि, 5,840 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जिनमें पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं, और उन्हें एक ही शिक्षक द्वारा चलाया जा रहा है. 

विस्तार से:

  • स्कूलों की संख्या:छत्तीसगढ़ में लगभग 56,895 सरकारी स्कूल हैं. 
  • शिक्षकों की संख्या:इन स्कूलों में लगभग 1,78,731 शिक्षक कार्यरत हैं. 
  • छात्रों की संख्या:51,67,357 से अधिक छात्र-छात्राएं इन स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं. 
  • एक शिक्षक वाले स्कूल:लगभग 5,840 स्कूल ऐसे हैं जिनमें पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं, यानी उन्हें एक ही शिक्षक द्वारा चलाया जा रहा है. 
  • शिक्षक की कमी:कई जिलों में, खासकर बस्तर, सरगुजा और कुछ अन्य जिलों में शिक्षक की कमी एक बड़ी समस्या है. 
  • युक्तिकरण योजना:सरकार ने स्कूलों के युक्तियुक्तकरण की योजना बनाई है, जिसमें कुछ स्कूलों को मर्ज किया जाएगा. 
  • शिक्षक विहीन स्कूल:कुछ ऐसे स्कूल भी हैं जिनमें कोई भी शिक्षक नहीं है, लेकिन सरकार ने आसपास के स्कूलों से शिक्षकों को अटैच किया है. 


राष्ट्रीय स्तर पर आयोग गठन के बाद देश में शिक्षा के क्षेत्र में है । अभूतपूर्व कार्य किए गए हैं।
भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में गठित आयोग –

कोठारी आयोग –


राष्ट्रीय शिक्षा आयोग (1964-1966), जिसे कोठारी आयोग के नाम से भी जाना जाता है, एक तदर्थ आयोग था जो भारत में शिक्षा के सभी पहलुओं की जाँच करने, एक सामान्य स्वरूप विकसित करने, और भारत में शिक्षा के विकास के लिए दिशानिर्देश और नीतियां बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था. यह आयोग डी. एस. कोठारी की अध्यक्षता में था।
आयोग ने क्या कार्य किए–

कोठारी आयोग के मुख्य उद्देश्य:
शैक्षिक क्षेत्र की सभी समस्याओं का व्यापक अध्ययन करना.
शिक्षा के लिए एक सामान्य रूपरेखा तैयार करना.
भारत में शिक्षा के विकास के लिए सिफारिशें करना.
शिक्षा में सुधार के लिए नीतियों का सुझाव देना.
कोठारी आयोग की सिफारिशें:
10+2+3 शिक्षा प्रणाली की सिफारिश.
उच्च शिक्षा में तकनीकी और कृषि शिक्षा पर जोर देना.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना.
नैतिक और सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देना.
हिन्दी को संपर्क भाषा के रूप में बढ़ावा देना.
शैक्षिक अवसरों की समानता सुनिश्चित करना.
कोठारी आयोग का महत्व:
कोठारी आयोग ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
उनकी सिफारिशें भारतीय शिक्षा नीति को आकार देने में सहायक रहीं.
आयोग की रिपोर्ट शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध और विश्लेषण प्रदान करती है.
संक्षेप में, कोठारी आयोग ने भारत में शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने और एक व्यापक और एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
बाद में गठित अन्य आयोग –

माध्यमिक शिक्षा आयोग (मुदालियर आयोग) (1953):


इसने माध्यमिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया और कई महत्वपूर्ण सिफारिशें दीं.
राधाकृष्णन आयोग (1948-1949):
यह स्वतंत्र भारत का पहला शिक्षा आयोग था जिसने उच्च शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया.
निष्कर्ष:
राष्ट्रीय शिक्षा आयोग की कोई वर्तमान संस्था नहीं है, लेकिन भारत में शिक्षा के क्षेत्र में नीति निर्माण और सुधारों के लिए कई महत्वपूर्ण आयोग और नीतियां हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधारों को दर्शाती है और भारत को एक विकसित और समावेशी शिक्षा प्रणाली बनाने के लिए एक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करती है.
विभिन्न शिक्षक संगठनों को शिक्षा आयोग में नियुक्ति के लिए उठानी चाहिए आवाज –
छत्तीसगढ़ शिक्षा आयोग में अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने से शिक्षकों और सरकार के बीच के कोई बेहतर मध्यस्थ नहीं है जिसके समक्ष शिक्षक अपनी समस्या एवं सुझाव रख सकें । अगर आयोग कार्य कर रहा होता तो आज राज्य में बी एड योग्यताधारी शिक्षकों को हटाने ,फिर डी एड शिक्षकों की नियुक्ति, युक्ति युक्तकरण की विसंगतियां , शिक्षकों के क्रमोन्नति , स्थानांतरण पॉलिसी , पदोन्नति , शिक्षक प्रशिक्षण इत्यादि के विषय में शिक्षा आयोग और शिक्षक संगठन संयुक्त रूप से बेहतर कार्य कर सकते हैं।

कैसे और क्यों हुआ था शिक्षा आयोग का गठन –
शिक्षा की गुणवत्ता के लिए आयोग में अध्यक्ष जरूरी है।
प्रदेश में शिक्षा आयोग का गठन पूर्व मुख्यमंत्री एवं विधान सभा अध्यक्ष डॉ.रमनसिंह के द्वारा विशेष रुचि लेने और छत्तीसगढ़ शिक्षक संगठन की प्रदेश में अच्छी सक्रियता के चलते उस समय के शिक्षक नेता चंद्रभूषण, शर्मा, सुधीर गौतम, दानीराम वर्मा , दिलीप केशरवानी , प्रभात गुप्ता जैसे शिक्षकों की कर्मठता के चलते संभव हुआ था।
लेकिन शिक्षा में जिस गुणवत्ता को बढ़ाने और उसे बनाए रखने के उद्देश्य से इसे गठित किया गया वह अब सरकार की नजरअंदाजी के चलते रुक गया है।
राज्य में तीन लाख से अधिक शिक्षकों को यह आयोग अनुशासित कर सकता है जिससे मजबूत राष्ट्र और समाज निर्माण में मदद मिलेगी।

आयोग कब बना और प्रथम अध्यक्ष कौन बनाए गए थे–
आयोग के पहले अध्यक्ष भूषण शर्मा को बनाया गया
राज्य शिक्षा आयोग का गठन पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने 20 सितंबर 2013 को किया था. पहला अध्यक्ष चंद्रभूषण शर्मा को बनाया गया था. साथ में सदस्य आरसी पांडव को नियुक्त किया गया था. इसके बाद विधानसभा चुनाव के कारण 19 दिसंबर 2013 को यह कार्यकाल भंग हो गया. इसके बाद फिर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो 15 जून 2015 को फिर से आयोग के अध्यक्ष के रूप में शर्मा की नियुक्ति की गई थी. साथ ही दो सदस्य नियुक्त हुए थे.

शिक्षा आयोग का कार्य क्या है?
छत्तीसगढ़ शिक्षा आयोग शिक्षकों की वेतन विसंगति , पदोन्नति, स्थानांतरण, शिक्षकों ‘की प्रमुख मांगों, समस्याओं, शिक्षा और शैक्षणिक प्रबंधन से संबंधित नवाचार और स्कूलों में फीस संरचना का काम करता है. लेकिन अध्यक्ष नहीं होने से ये सारी चीजें सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गई है. इसके अलावा भी कई काम आयोग के जिम्मे है.

शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने के लिए सिफारिश करना।
शिक्षा और शैक्षणिक प्रबंधन से जुड़े नवाचारों के लिए सुझाव देना।
शिक्षकों की मांगों और समस्याओं को सुनना, उसके लिए सिफारिश करना।
स्कूलों में फीस से लेकर कई तरह के विवादों में सुधार के लिए सुझाव देना।

विधानसभा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह से मिलने की तैयारी –
छत्तीसगढ़ में सरकार को बने एक वर्ष हो गए हैं,आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए जल्द ही शिक्षकों का एक प्रतिनिधि मंडल ,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांतचालक और सरकार के प्रतिनिधियों से मिलकर इस महत्वपूर्ण आयोग सहित शिक्षा से जुड़े संस्कृत मंडलम आयोग और योग आयोग के गठन को लेकर मुलाकात करेगा

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में 1982 से है आयोग –

भारतीय संविधान के अनुच्छेद-200 के अन्तर्गत शक्ति का प्रयोग कर महामहिम राज्यपाल महोदय, उत्तर प्रदेश विधान मण्डल द्वारा पारित, उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग विधेयक-1980 को स्वीकृति प्रदान किये जाने के उपरान्त 01 अक्टूबर, 1980 को उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की स्थापना हुई।

उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग एक निगमित निकाय है जो 01 नवम्बर, 1982 से कार्य करना प्रारम्भ किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button