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युक्ति युक्तकरण मामले की हाईकोर्ट में हुई सुनवाई जिला स्तरीय कमिटी को अभ्यावेदन देने का निर्देश वकीलों ने की तर्कसंगत पैरवी

अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि युक्तियुक्तकरण नीति कानूनसम्मत नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए

बिलासपुर प्रवक्ता.कॉम 11 जून 2025

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छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में आज युक्ति युक्तिकरण पर दायर अलग अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने याचिका कर्ताओं को जिला स्तरीय युक्ति युक्तकरण समिति को अभ्यावेदन प्रस्तुत करने के का निर्देश दिया है ।

शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण मामले की सुनवाई बुधवार को जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की अदालत में हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता शिक्षकों को थोड़ी राहत की खबर मिली है। सुनवाई के दौरान मौजूद सहायक शिक्षकों समग्र शिक्षक फेडरेशन के महासचिव अश्वनी कुर्रे ने कहा है कि सुनवाई के बाद प्रभावित शिक्षकों को न्यायालय से न्याय की उम्मीद बनी हुई है।

मामले की अधिक जानकारी देते हुए अधिवक्ता गोविंद देवांगन ने बताया कि
याचिकाकर्ताओं को अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है, जिसका निराकरण जिला स्तर की कमेटी करेगी। साथ ही, याचिकाकर्ताओं को इसके लिए समय भी प्रदान किया जाएगा।

सुनवाई में अधिवक्ता गोविंद देवांगन सहित अन्य अधिवक्ताओं ने याचिकाकर्ता शिक्षकों का पक्ष रखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए युक्तियुक्तकरण नियमों को मनमाना और गैर-कानूनी बताया। उन्होंने तर्क दिया कि विभाग ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में कई खामियां छोड़ीं, जैसे शिक्षकों को दावा-आपत्ति का अवसर न देना, रात में अतिशेष सूची जारी करना, और सुबह काउंसलिंग के लिए बुलाना। , जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। अधिवक्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि युक्तियुक्तकरण नीति कानूनसम्मत नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।

सुनवाई के दौरान यह भी बात सामने आई कि परिवीक्षा अवधि वाले शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण से मुक्त रखने का निर्णय भेदभावपूर्ण है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 के समानता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं को “अतिशेष” घोषित करने का निर्णय भी बिना सुनवाई के लिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

अश्वनी कुर्रे ने बताया कि सुनवाई में जोरदार बहस हुई, जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों से न्यायालय ने कई सवाल किए, ।
। युक्तियुक्तकरण का मामला जटिल होने के कारण प्रत्येक याचिकाकर्ता की परिस्थितियों के आधार पर अलग-अलग निर्णय होने की संभावना है। विशेष रूप से उन शिक्षकों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिन्होंने नए संस्थानों में पदभार ग्रहण नहीं किया।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता गोविंद देवांगन ने बताया कि अभी न्यायालय का विस्तृत आदेश अभी अपलोड नहीं हुआ है इसलिए कुछ अधिक नहीं कहा जा सकता।

लेकिन सुनवाई के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर हमने अपना पक्ष रखा है कि। अब इस मामले में आगे की प्रक्रिया याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन और जिला स्तर की कमेटी के निराकरण पर निर्भर करेगी।

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