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हम भूले नहीं हैं तुमको इस देश पे मरने वालों,जलियांवाला बाग में जनरल डायर के ऑर्डर पर 13 अप्रैल 1919 को हुए बर्बर हत्याकांड की आज 106 वीं बरसी

प्रवक्ता कॉम (जलियांवाला बाग पर विशेष) 13 अप्रैल 2025

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जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल, 1919 को हुआ था. यह घटना अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुई थी. इस घटना में ब्रिटिश सैनिकों ने निहत्थे लोगों पर गोलियां चला दी थीं. यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं में से एक है.
घटना की जानकारी:
यह घटना बैसाखी के दिन हुई थी.
इस घटना में जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश सैनिकों ने गोलियां चलाई थीं.
इस घटना में 400 से ज़्यादा लोग मारे गए थे और 2,000 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे.
यह घटना रौलेट एक्ट के ख़िलाफ़ हो रही एक सभा में हुई थी.
इस घटना में बिना किसी चेतावनी के गोलियां चलाई गई थीं–


इस घटना में सैनिकों ने करीब 1,650 राउंड गोलियां चलाई थीं.
इस घटना की याद में:
इस घटना की याद में जलियांवाला बाग में स्मारक बना है.
इस घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे ज़्यादा असर डाला था.

महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर का विरोध

महात्मा गांधी ने इस घटना के विरोध में अपने सारे पदक वापस कर दिए. रवींद्रनाथ टैगोर ने वायसराय चेम्सफ़ोर्ड को पत्र लिख कर अपनी नाइटहुड की उपाधि वापस की.

उसके बाद भारतीय लोगों और अंग्रेज़ों के बीच जो दूरी पैदा हुई, उसे कभी पाटा नहीं जा सका और 28 साल बाद अंग्रेज़ों को भारत से जाना पड़ा.

मशहूर हिंदी कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने एक कविता लिखी, ‘ जलियाँवाला बाग में बसंत -‘

परिमल- हीन पराग दाग सा बना पड़ा है,

हाँ ! ये प्यारा बाग़ ख़ून से सना पड़ा है.

ओ, प्रिय ऋतुराज ! किंतु धीरे से आना.

यह है शोक -स्थान यहाँ मत शोर मचाना.

तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर,

शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर.

यह सब करना, किंतु यहाँ मत शोर मचाना

यह है शोक-स्थान बहुत धीरे से आना

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