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आखिर कड़े संघर्षों से मंजिल मिल ही गई ” चंदा नाग ” बनी सुकमा जिले की एक गांव पाकेला की पहचान

सफलता का कोई शार्ट कट नहीं है , कड़ी मेहनत ही एक मात्र रास्ता है मंजिल तक पहुंचने का

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कभी धुर नक्सली आतंक और दहशत का पर्याय रहे सुकमा जिले के पाकेला गांव की चर्चा , आज उसकी एक बेटी चंदा नाग की मेहनत और कड़े संघर्षों की वजह से हो रही है।
जिसने 2023 छत्तीसगढ़ राज्य सेवा की परीक्षा में नायब तहसीलदार का पद प्राप्त किया है। उनके संघर्षों की कहानी भी सुदूर आदिवासी क्षेत्रों सहित छत्तीसगढ़ और देश के अन्य छात्रों के लिए प्रेरणा का काम करेगी, जो ये सोचते हैं कि प्रशासनिक पद तक पहुंचने में उनके हालात बड़े बाधक हैं।
चंदा नाग की मां कुसुम नाग एक गृहणी हैं और पिता गंगा राम नाग , शिक्षक हैं जिन्होंने एक सपना देखा था कि उनकी बेटी प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी करे ,उनके पिता माता और चाचा गंगाराम का सपना आज पूरा भी हो गया । चंदा ने प्रवक्ता .काम को बताया है कि यह सफलता उनके संघर्ष की यात्रा का पहला पड़ाव है पर अभी मंजिल बाकी है।
वो सिविल सर्विसेज की तैयारी जारी रखेंगी ,उनका सपना और लक्ष्य भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी बनकर देश और राज्य की सेवा करना है ।
चंदा नाग की स्कूली शिक्षा उनके गांव पाकेला में हुई , हाईस्कूल और हायर सेकंडरी की पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर जगदलपुर से हुई है।
इससे पहले 3 बार वो सी .जी. पी. एस .सी. की साक्षात्कार तक पहुंची थीं।
चंदा ने अपनी सफलता के लिए अपने माता, पिता, शिक्षकों ,चाचा, भाई और छोटी बहन झरना नाग को दिया है जिन्होंने हर परिस्थितियों में उसके साथ खड़े होकर हौसला दिया है।
सुकमा का यह गांव भी आज अपनी बेटी चंदा पर गर्व कर रहा है।

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