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युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों को उजागर करने शिक्षक साझा मंच , प्रदेश के प्रत्येक जिला मुख्यालय में करेगा पोल खोल प्रदर्शन और सौंपेगा ज्ञापन

नौकरशाही चरम पर,विसंगतियों का नही हुआ कोई निराकरण,कोई सुनवाई नही होने से लगा मुखियाविहीन शिक्षा विभाग- वीरेंद्र दुबे

रायपुर प्रवक्ता. कॉम 9 जून 2025

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     छ ग राज्य में वर्तमान में प्रक्रियाधीन युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के अंतर्गत राज्य के एकल शिक्षकीय एवं शिक्षक विहीन शालाओं में शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने वाली कार्यवाही का कोई भी शिक्षक संगठन विरोध नहीं कर रहा है बल्कि हमारा विरोध युक्तियुक्तकरण के निर्देशों व प्रक्रिया में व्याप्त विसंगतियों को दूर करने के लिए है राज्य की शिक्षा व्यवस्था, शिक्षा की गुणवत्ता व शिक्षकों के हितों पर अवश्यंभावी नकारात्मक प्रभाव को रोका जा सके।

शिक्षक साझा मंच के प्रांत संचालक वीरेंद्र दुबे ने कहा कि हमारी चिंता और समस्याएं सरकार और जनसामान्य तक पहुंचे तथा सरकार त्वरित संज्ञान लेकर समस्या का सर्वसम्मत समाधान शिक्षा व्यवस्था से जुड़े सभी पक्षों से बातचीत कर निकाले इसी उद्देश्य से महत्वपूर्ण जानकारियां निम्नानुसार प्रस्तुत है :-

प्रमुख तथ्य :-
01.अगस्त-सितंबर 2024 में भी युक्तियुक्तकरण के निर्देश व समय सारिणी जारी की गई थी,जिसकी व्यापक आलोचना के साथ विरोध भी हुआ था। प्रक्रिया व उससे संबंधित निर्देशों की विसंगतियों , समस्याओं व निराकरण हेतु सुझाव सरकार व शासन को दिए गए थे। यद्यपि इस प्रक्रिया को गतवर्ष रोक दिया गया था किन्तु 01/05/2025 से पुनः निर्देशों व प्रक्रिया में कोई भी सुधार किए बिना विभाग ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।
यह अत्यंत खेदजनक है कि शिक्षा व्यवस्था, छात्रों, जनसामान्य व कर्मचारियों से जुड़े इस विषय की विसंगतियों, समस्याओं व सुझावों को नकारते हुए 02/08/2024 के निर्देशों व प्रक्रिया में बिना कोई सुधार किए विभाग तथाकथित युक्तियुक्तकरण करने पर आमादा है।
02.पिछली सरकार के दौर में स्कूल शिक्षा विभाग में 2021 से वर्तमान तक लगभग 30000 पदों पर भर्ती, लगभग 25000 पदों पर पदोन्नति तथा लगभग 10000 स्थानांतरण तथा लगभग 8000 प्रतिनियुक्ति की गई है।
03.भर्ती, पदोन्नति, स्थानांतरण व प्रतिनियुक्ति में पदस्थापना के लिए सेट-अप, विषय व पदरिक्तता का ध्यान नहीं रखा गया। भर्ती पदोन्नति नियम 2019 में संशोधन कर सहा.शिक्षक व शिक्षक पद के लिए विषय के बंधन को भी समाप्त कर दिया गया।
04.उक्त सभी प्रकार की पदस्थापनाओं में निरंकुशता व भाई भतीजावाद हावी रहा है तथा भ्रष्टाचार की भी भारी शिकायतें रही है। तात्कालीन शिक्षा मंत्री पर भी उंगली उठी तथा शिक्षा मंत्री भी बदले गए ।इसी क्रम में चार संभागीय संयुक्त संचालक व अनेक अधिकारी कर्मचारी निलंबित भी हुए।
04.स्कूल शिक्षा विभाग में वर्तमान में सभी स्तर के पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया जारी है।
05.युक्तियुक्तकरण निर्देश के अनेक बिंदु विभागीय सेट-अप 2008 तथा भर्ती पदोन्नति नियम 2019 का उल्लंघन करता है।

विसंगतियां व समस्याएं :-

01.युक्तियुक्तकरण की उक्त प्रक्रिया से पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था, विद्यार्थी, पालक व कर्मचारियों की व्यवस्था में सबसे बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है। उक्त प्रक्रिया में संवेदनशीलता, पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित होना आवश्यक है, किंतु संबंधित समितियों को सर्वाधिकार प्रदान कर दिया गया है तथा किसी भी स्तर पर जानकारियों को सार्वजनिक करने दावा आपत्ति करने तथा उनके निराकरण की कोई व्यवस्था नहीं की गई है जिसके कारण निरंकुशता,भाई भतीजावाद तथा भ्रष्टाचार की व्यापक आशंका है। विभाग की वर्तमान दुरवस्था का कारण भी यही है किंतु इस पर लगाम लगाने की कोशिश भी नहीं की गई है।
02.प्राथमिक विद्यालय के न्यूनतम सेट-अप प्रधान पाठक सहित 03 पदों के स्थान पर 02 पदों का प्रावधान किया गया है।02 पदों से प्राथमिक शालाओं का समुचित संचालन अव्यवहारिक व असंभव है, जबकि इन शालाओं के साथ बालवाड़ी को भी संलग्न किया गया है।इस स्थिति में शिक्षा की गुणवत्ता के साथ ही बच्चों की सुरक्षा पर भी सवालिया निशान लगाते हैं।
प्राथमिक शालाओं के सेट-अप घटाने से भारी संख्या में सहायक शिक्षक अतिशेष होने जा रहे हैं जिनकी पदस्थापना के लिए अन्यत्र भी विकल्प अत्यंत सीमित हैं जिसके कारण भारी अव्यवस्था व असंतोष उत्पन्न होगा। कर्मचारियों के भयादोहन की भी आशंका है।
प्राथमिक शालाओं में सेट-अप में पद रिक्त न होने के बावजूद नई भर्ती के तहत मनचाहा पदस्थापनाएं की गई। युक्तियुक्तकरण के निर्देशानुसार परिवीक्षा अवधि में होने के कारण इन्हें अतिशेष नहीं माना जाएगा, बल्कि पूर्व से सेट-अप के अनुसार पदस्थ शिक्षकों को अतिशेष मानकर हटाया जाएगा।यह पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों के प्रति अन्याय और विभागीय अधिकारियों की निरंकुशता और मिलीभगत को संरक्षण देना साबित होगा।
जबकि नई भर्ती व पदोन्नति की पदस्थापनाएं शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय शालाओं में करके समाधान किया जा सकता था।
03.पूर्व माध्य.शालाओं में विषय बंधन को समाप्त कर भर्ती की गई तथा भर्ती व पदोन्नति की पदस्थापनाएं व उनमें मनचाहा संशोधन सेट-अप व विषय को दरकिनार किया गया।
युक्तियुक्तकरण में पुनः पूर्व माध्यमिक विद्यालय में विषय के अनुसार सेट-अप लागू किया जा रहा है। जिसके कारण अधिकांश शालाओं के शिक्षक प्रभावित होने जा रहे हैं। अन्यत्र विकल्पों के अभाव में अव्यवस्था व भयादोहन के कारण निरंकुशता और भ्रष्टाचार की आशंका भी है।
पूर्व माध्यमिक शालाओं में सेट-अप में पद रिक्त न होने व संबंधित विषय के पद न होने बावजूद नई भर्ती व पदोन्नति व उनमें संशोधन के तहत मनचाहा पदस्थापनाएं की गई। युक्तियुक्तकरण के निर्देशानुसार परिवीक्षा अवधि में होने के कारण इन्हें अतिशेष नहीं माना जाएगा, बल्कि पूर्व से सेट-अप के अनुसार पदस्थ शिक्षकों को अतिशेष मानकर हटाया जाएगा।यह पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों के प्रति अन्याय और विभागीय अधिकारियों की निरंकुशता और मिलीभगत को संरक्षण देना साबित होगा।
जबकि नई भर्ती व पदोन्नति की पदस्थापनाएं शिक्षक विहीन ,एकल शिक्षकीय व विषय की आवश्यकता अनुसार शालाओं में करके समाधान किया जा सकता था।
04.वर्तमान शाला में समान पदस्थापना/कार्यभार ग्रहण दिनांक होने की स्थिति में पद पर प्रथम नियुक्ति तिथि या आयु के आधार पर वरिष्ठ मानने का स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
05.पूर्व माध्यमिक शालाओं में पूर्व में विषय के उल्लेख के बिना पदस्थापनाएं हुई हैं तथा अध्यापन विषय का पूर्व में विकल्प भी दिया गया था। पूर्व में गणित व जीवविज्ञान स्नातकों को विज्ञान समूह के शिक्षक के रूप में नियुक्ति दी गई है।किंतु वर्तमान निर्देश अपर्याप्त व अस्पष्ट है, जिसके कारण भाई भतीजावाद होने की प्रबल आशंका है।
06.बस्तर संभाग में सैंकड़ों की संख्या में पोटा कैबिन संचालित है जिसमें हजारों असुविधा ग्रस्त व हिंसा प्रभावित बच्चे पढ़ते हैं किंतु आज तक इन पोटा कैबिन के लिए विभागीय सेट अप स्वीकृत नहीं किया गया है। युक्तियुक्तकरण से इनके अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है।
07.हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूल में विषयवार सेट-अप लागू है। युक्तियुक्तकरण के तहत कालखंड की संख्या के आधार पर अतिशेष खोजने की अनुचित कवायद की जा रही है। जबकि विभिन्न कक्षाओं में सेक्शन के आधार पर अधिक पदों की स्वीकृति आवश्यक है।
सेट-अप के अनुरूप पदस्थापनाएं न होना विभागीय निरंकुशता व भाई भतीजावाद का परिणाम है।

प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा ने
प्रमुख मांगों का उल्लेख करते हुए बताया कि-

01.वर्तमान में जारी 02/08/2024 के युक्तियुक्तकरण निर्देश, समय सारिणी तथा प्रक्रिया की तत्काल समीक्षा व वांछित सुधार किया जावे।
02.सभी शिक्षक संगठनों की बैठक बुलाकर सर्वसम्मति से समाधान निकाला जावे।
03.विभागीय सेट-अप 2008 में फिलहाल कोई परिवर्तन न किया जावे।
04.प्राथ. शालाओं व पूर्व माध्यमिक शालाओं में प्रधान पाठक के पद को शिक्षकीय पद की गणना से पृथक रखा जावे।05.प्राथ. शालाओं में विषय बंधन मुक्त न्यूनतम 01+02 तथा पूर्व माध्यमिक शालाओं में न्यूनतम 01+04 का विषय बंधन से मुक्त सेट-अप रखा जावे।
06.शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय शालाओं में शिक्षक उपलब्ध कराना प्राथमिकता होनी चाहिए न कि शिक्षकों को अतिशेष करना।
07.पदोन्नति की लंबित प्रक्रियाओं को अविलंब पूर्ण करके शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय शालाओं में पदस्थापना की जावे।
08.अतिआवश्यक होने पर 2008 के सेट-अप अनुसार स्वीकृत पद से संख्यात्मक आधार पर एक से अधिक अतिशेष शिक्षकों वाली शालाओं से संकुल व विकास खंड के भीतर शिक्षकों का समायोजन किया जावे।
09.समायोजन में वर्तमान शाला में समान पदस्थापना/कार्यभार ग्रहण तिथि की स्थिति में पद पर प्रथम नियुक्ति तिथि या आयु के आधार पर वरिष्ठ मानने का स्पष्ट निर्देश जारी किया जावे।
10.समायोजन में पूर्व माध्यमिक शालाओं में विषयवार शिक्षक के स्थान संख्यात्मक आधार पर शिक्षकों की पदस्थापना की जावे।
11.समायोजन की संपूर्ण प्रक्रिया सार्वजनिक की जावे तथा दावा आपत्ति करने व उसके निराकरण का समुचित प्रावधान भी किया जावे।
12.शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों को समायोजन से छूट प्रदान की जावे।
13.कम दर्ज संख्या व कम दूरी तथा एक ही परिसर में स्थित होने के आधार पर शालाओं को मर्ज करने का परिणाम उन शालाओं के अस्तित्व को समाप्त करना ही है, जो कि उचित नहीं है। अतः इन शालाओं को मर्ज न किया जावे।
14.विभाग भविष्य में भी शिक्षा व्यवस्था से जुड़े मामलों में एकतरफा आदेश निर्देश जारी करने के स्थान पर कर्मचारी संगठनों से चर्चा कर सर्वसम्मत व प्रभावी कदम उठाए।
15.वि.ख., जिला, संभाग व राज्य स्तर पर विभागीय परामर्शदात्री समितियों का गठन व उनकी नियमित बैठकें की जावे।

युक्तियुक्तकरण काउंसलिंग पर भारी विसंगति,भर्राशाही और भाई-भतीजावाद का लगा आरोप, राज्य निर्देश के विपरीत की गई प्रक्रिया, साझा मंच ने समस्त काउंसलिंग को निरस्त करने की रखी मांग

सरकार का दावा Vs तथ्य

  1. दावा:-सरकार दावा कर रही है कि शिक्षा विभाग में पदों की संख्या में कोई कटौती नहीं की जा रही है।
    तथ्य:- विभाग ने 2008 के सेट अप को अप्रासंगिक बताते हुए 2009 के शिक्षा के अधिकार अधिनियम के मानकों के अनुसार शिक्षकों को अतिशेष मानने की कार्यवाही कर रही है।
    2008 के सेट अप की तुलना में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिक तथा पूर्व माध्यमिक शालाओं में शिक्षकों की न्यूनतम संख्या में एक एक पद कम किए जा रहे हैं।
    जबकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 राज्यों के लिए न्यूनतम मापदंड तय करता है लेकिन बेहतर संसाधन उपलब्ध कराने से नहीं रोकता।2. दावा:- सरकार युक्तियुक्तकरण से अतिरिक्त शिक्षक उपलब्ध कराने तथा शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि का दावा करती है।
    तथ्य:- युक्तियुक्तकरण के निर्देशों के अनुसार राज्य के लगभग 20000 प्राथमिक शालाओं तथा लगभग 9000 पूर्व माध्यमिक शालाओं में एक एक शिक्षक कम हो जाएंगे तथा शिक्षा की गुणवत्ता ही नहीं बल्कि बच्चों की सुरक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि केवल 01 प्रधान पाठक और 01 सहा शिक्षक से प्राथमिक शालाओं का संचालन तथा 01 प्रधान पाठक और 03 शिक्षक से विषयवार पूर्व माध्यमिक शालाओं का संचालन अव्यवहारिक और अमानवीय है।
    प्राथमिक शालाओं में वर्तमान छात्र शिक्षक अनुपात 21.84 : 1 तथा पूर्व माध्यमिक शालाओं छात्र शिक्षक अनुपात 26.2 : 1 पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा तथा विभिन्न शैक्षिक मानकों पर राज्य की वर्तमान रैंक (25-30) और भी पिछड़ जाएगी।
  2. सरकार का दावा है कि अतिशेष शिक्षकों की संख्या अत्यंत कम है। 18834 प्राथमिक शालाओं से अतिशेष शिक्षक निकल ही नहीं सकते तथा पूर्व माध्यमिक शालाओं से केवल 1762 शिक्षक अतिशेष निकल रहे हैं।
    सरकार का यह भी दावा है कि केवल 212 प्राथमिक तथा 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं शिक्षक विहीन हैं।इसी तरह 255 पूर्व माध्यमिक व 6872 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षकीय हैं।
    तथ्य :- सरकार के दावे के अनुसार इन शालाओं में शिक्षक उपलब्धता के लिए बहुत बड़ी कवायद करने की आवश्यकता ही नहीं थी। विभिन्न जिलों से अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार 20000 से अधिक शिक्षक अतिशेष चिन्हांकित किए जा चुके हैं जबकि अनेक जिलों ने सूची जारी किए बिना ही युक्तियुक्तकरण कर दिया है।
    4.दावा :- सरकार ने कोई भी शाला बंद नहीं किया है केवल 10463 शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया है।
    तथ्य :- सरकार ने लगभग 30000 शालाओं का युक्तियुक्तकरण करके 10463 शालाओं में उन्हें मर्ज कर दिया है। क्योंकि युक्तियुक्तकृत 10463 शालाओं में 02 से 05 तक शालाएं मर्ज की गई है।
    अर्थात् लगभग 20000 शालाओं का पृथक अस्तित्व, यूडाईस कोड,शाला प्रबंधन समिति, संस्था प्रमुख का अस्तित्व, वित्तीय अधिकार आदि समाप्त हो गए।

वर्तमान स्थिति:-
राज्य के सभी जिलों में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया प्रशासनिक सख्ती से तानाशाही पूर्वक की जा रही है।सभी जिलों व्यापक विरोध के बावजूद प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है तथा भारी विसंगतियां सामने आ रही है जिसके कारण युक्तियुक्तकरण की वर्तमान प्रक्रिया से शिक्षा सत्र के प्रारंभ में ही भारी अव्यवस्था व विद्यार्थियों व शिक्षकों के साथ भारी अन्याय की स्थिति निर्मित हो रही है। कुछ प्रमुख आपत्तियां निम्नानुसार हैं:-

  1. रायपुर जिले के किसी भी वि ख व जिले में शिक्षकों के किसी भी पद की अतिशेष सूची का प्रकाशन ही नहीं किया गया जिसके कारण अतिशेष चिन्हांकित शिक्षकों के विषय में विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की शुद्धता का परीक्षण नहीं किया जा सका। ऐसी स्थिति राज्य के अन्य जिलों में भी है।
  2. अतिशेष चिन्हांकित शिक्षकों को काउंसलिंग के पहले दिन रात को व्यक्तिगत रूप से अचानक सूचना दी गई।
  3. अतिशेष चिन्हांकित शिक्षकों को दावा-आपत्ति का कोई अवसर नहीं दिया गया।
  4. काउंसलिंग स्थलों पर भी शिक्षकों की आपत्तियों को स्वीकार नहीं किया गया।
  5. काउंसलिंग स्थलों में आपत्तियों के निराकरण हेतु कोई भी सक्षम अधिकारी उपस्थित नहीं रहे।
  6. रायपुर जिले में प्राथमिक शालाओं में उस संस्था के वरिष्ठ सहायक शिक्षकों को अतिशेष चिन्हांकित कर काउंसलिंग में बुलाया गया। कनिष्ठ सहायक शिक्षकों को उन्हीं शालाओं में यथावत रखा गया है।
  7. पूर्व माध्यमिक शालाओं में शिक्षकों को मनचाहे तरीके से किसी भी विषय का शिक्षक मान लिया गया। विषय के चिन्हांकन के लिए कोई ठोस और तर्कसंगत आधार नहीं रखा गया।
  8. जिन शालाओं से अतिशेष शिक्षक चिन्हांकित किए गए उन्हीं शालाओं में रिक्त पद दिखाते हुए शिक्षकों को पद भी आबंटित किए गए।
  9. हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में किसी विषय के पदस्थ एक मात्र व्याख्याता को भी अतिशेष चिन्हांकित कर दिया गया। जबकि अनेक शालाओं में सेट अप से अधिक कार्यरत व्याख्याताओं को भी अतिशेष चिन्हांकित नहीं किया गया।
  10. कुछ हायर सेकंडरी स्कूलों में व्याख्याता के पद रिक्त नहीं होने के बाद अतिशेष व्याख्याताओं को पद आबंटित किया गया।
  11. आत्मानंद विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति के लिए असहमति देने वाले अनेक शिक्षकों अतिशेष चिन्हांकित नहीं किया गया।अनेक पी एम श्री विद्यालयों को भी अतिशेष की गणना से मुक्त रखा गया है जो कि उचित नहीं है।
  12. अनेक शालाओं में पद रिक्त होने के बावजूद भी काउंसलिंग में उन पदों को रिक्त नहीं दिखाया गया। अनेक एकल शिक्षकीय शाला अभी भी एकल शिक्षकीय रहेंगे।
  13. काउंसलिंग में शिक्षकों की वरिष्ठता को लेकर भारी आपत्तियां रही किन्तु इनका समुचित समाधान नहीं किया गया।
  14. पूरी प्रक्रिया में अधिकांश जिलों में भाई-भतीजावाद व निरंकुशता की शिकायतें मिल रही है। अधिकांश जिलों में विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता भी उजागर हो रही है।
  15. कुछ संभाग में 07/06/2025 को संभागस्तरीय काउंसलिंग का आयोजन किया जा रहा है लेकिन 06/06/2025 को रात तक भी शिक्षकों को सूचना नहीं दी गई है। ऐसी स्थिति में उपयुक्त स्थान चयन तो दूर उनका काउंसलिंग में संभाग मुख्यालय में पंहुचना संभव नहीं हो पा रहा है। उन्हें अनुपस्थित मानते हुए एकतरफा शाला आबंटित करना उनके साथ अन्याय होगा।

10 जनवरी को प्रदेश के समस्त जिलों में रैली निकाल कर ज्ञापन सौंपा जायेगा।

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