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न्यायालय ने शिक्षक के विरुद्ध पूर्व विधायक द्वारा दायर मानहानि केस को किया खारिज

भूतपूर्व विधायक छन्नी साहू की करारी और ऐतिहासिक हार, कर्मचारी नेता जाकेश साहू ने दी पटखनी…. मानहानि केश में सारे दावे और सबूत ध्वस्त, लगाए गए सभी आरोप कोर्ट में झूठे साबित

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राजनांदगांव/अंबागढ़ चौकी // प्रवक्ता.कॉम//17 जून 2025


न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी अंबागढ़ चौकी द्वारा विगत 12 जून को एक ऐतिहासिक आदेश पारित किया गया। खुज्जी के पूर्व विधायक छन्नी साहू द्वारा शिक्षक एवं कर्मचारी नेता, छत्तीसगढ़ जागरूक शिक्षक संघ, पंजीयन क्रमांक 122202595034 के प्रदेश अध्यक्ष तथा साहू समाज के आजीवन जिला सदस्य जाकेश साहू के साथ अभद्रता करते हुए उनके साथ अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर गाली गलौच की गई थी, उन्हें अपशब्द कहते हुए साहू समाज के बैठक में पांच चप्पल मारने की धमकी दी गई थी।


इसके पहले भी जाकेश साहू को पूर्व विधायक छन्नी साहू एवं इनके पति चंदू साहू द्वारा विगत दो सालों से मानसिक रूप से प्रताड़ित व परेशान किया गया था। छन्नी साहू के गृह ग्राम पैरीटोला के शासकीय प्राथमिक शाला में अक्टूबर 2022 में सहायक शिक्षक जाकेश साहू का प्रधान पाठक के पद में पदोन्नति हुआ था।
ऐसे में तात्कालीन विधायक छन्नी साहू एवं उनके पति चंदू साहू द्वारा प्रधान पाठक जाकेश साहू का यह कहकर विरोध किया जाने लगा कि जाकेश साहू एक कर्मचारी नेता है और वह नेतागिरी करता है। ऐसे नेता शिक्षक उनके गांव में नहीं चाहिए। छन्नी और चंदू साहू का कहना था कि मुझे बगैर पूछे, मेरे बिना परमिशन के जाकेश साहू मेरे गांव में हेडमास्टर बन कर कैसे आ गया। छन्नी साहू के पति चंदू साहू ने जाकेश साहू को अपने घर बुलाकर डांटते हुए कहा था कि मै इस क्षेत्र का जाने माने विधायक और बड़ा नेता हूं। छुरिया, राजनांदगांव और इस जिले व ब्लाक में मेरे परमिशन के बगैर कोई भी कलेक्टर, एसपी, तहसीलदार, थानेदार या कोई भी छोटा बड़ा अफसर यहां नहीं आता। मेरे अनुमति बिना यहां कोई पत्ता भी नहीं हिलता। लोग पहले मुझे मेरे घर आकर सलामी ठोकते है।
लेकिन तुम एक छोटा सा मास्टर मुझे पूछे बगैर मेरे अनुमति बिना यहां कैसे पोस्टिंग करवा लिए। चंदू साहू द्वारा जाकेश साहू को डराया धमकाया गया कि तुम यहां से अपना ट्रांसफर करवा लो। इस गांव में तुम्हारा रहना ठीक नहीं। छन्नी साहू द्वारा विभाग के अधिकारियों पर जाकेश साहू को प्राथमिक शाला पैरीटोला से हटाने का दबाव डाला गया। इसी बीच प्रधान पाठक जाकेश साहू पर किसी मामले में पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज हुई और उन्हें दो दिनो के लिए न्यायिक अभिरक्षा में रखा गया था।
जाकेश साहू के न्यायिक अभिरक्षा से मुक्त होते ही छन्नी और चंदू साहू ने अपने ग्राम में ग्रामीणों की बैठक करवाकर जाकेश साहू को गांव से हटाने का लिखित शिकायत उच्च कार्यालयों एवं विभागों में किया गया। विभाग के अधिकारियों को बार बार दबाव डालकर, स्कूल भेजकर जांच के नाम काफी समय तक परेशान व प्रताड़ित किया गया। अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जिला शिक्षाधिकारी पर दबाव डालकर जाकेश साहू का 40 किलोमीटर दूर शासकीय प्राथमिक शाला दैहान में ट्रांसफर किया गया।
चूंकि चंदू साहू को आदिवासी समाज के युवा ट्रैक्टर ड्राइवर के साथ गाली गलौच के मामले में जेल जाना पड़ा था। जिसका सामाजिक निराकरण नहीं हुआ है। इस मुद्दे को जाकेश साहू ने सामाजिक व्हाट्सअप ग्रुप में उठाया जिस पर बौखलाकर पूर्व विधायक छन्नी साहू ने जाकेश साहू को अपशब्द कहते हुए अनर्गल गाली गलौच की थी। पूर्व में चंदू साहू द्वारा भी जाकेश साहू को नौकरी से बर्खास्त कर देने, जेल भेज देने, निपटा देने, देख लेने और नेतागिरी नहीं करने की धमकी दी थी।
इस प्रकार पूर्व विधायक छन्नी साहू एवं इनके पति चंदू साहू द्वारा लगातार दो सालों तक प्रधान पाठक जाकेश साहू को मानसिक प्रताड़ना दी गई। जिसकी शिकायत जाकेश साहू ने पुलिस थाने छुरिया एवं राज्य पुलिस विभाग में करके कार्यवाही की मांग की थी।
जिसके खिलाफ में छन्नी साहू ने जाकेश साहू को अपने वकील कादिर सिद्दीकी के माध्यम से 10 लाख रुपए के मानहानि का नोटिस भेजते हुए अंबागढ़ चौकी न्यायालय में यह कहते हुए शिकायत की थी कि जाकेश साहू द्वारा छन्नी साहू के खिलाफ छुरिया पुलिस में शिकायत कर उनके खिलाफ पेपरबाजी कर उनकी छवि को खराब किया गया है। अतः जाकेश साहू के खिलाफ गाली गलौच मानहानि कारीत करने बाबत अपराध अंतर्गत धारा 217, 284, 356, 356 (1) भारतीय न्याय संहिता के तहत प्रकरण पेश किया गया।
तथा वॉट्सअप मैसेज एवं अन्य दस्तावेज न्यायालय में पेश कर प्रकरण के समर्थन में छन्नी साहू ने न्यायालय में अपना बयान तथा अपने समर्थित साक्षी मनीष बसोड एवं मुकेश सिंहा आदि का बयान करवाया। जाकेश साहू की ओर से मोहम्मद बसीर सिद्दीकी, अधिवक्ता राजनांदगांव ने पैरवी की। उनकी पैरवी में छन्नी साहू का प्रकरण पूरी तरह असत्य एवं झूठा पाया गया तथा तास के पत्तों की तरह धराशाही हो गया। और छन्नी साहू का प्रकरण निरस्त कर दिया गया।
अदालत के इस फैसले से यह साबित होता है कि इंसान चाहे कितना भी बड़ा अथवा प्रभावशाली हो उनका झूठ और असत्य एक दिन न्यायालय के सामने बेपर्दा हो ही जाता है। पीड़ित कर्मचारी नेता एवं शिक्षक जाकेश साहू ने कहा कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा और विश्वास था कि अदालत में सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने न्यायपालिका का आभार जताया।

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