युक्ति युक्त करण एक सरकारी मनमानी हजारों शिक्षकों की कर दी जेडी ने पोस्टिंग पारदर्शी स्थानांतरण करते तो स्वतः समायोजित हो जाते स्थानांतरण नीति की हो रही है आलोचना ये नीति नहीं अनीति है.!

रायपुर प्रवक्ता.कॉम 09 जून 2025
छत्तीसगढ़ में कल युक्ति युक्तकरण में फैली भर्राशाही और अव्यवस्थाओं के खिलाफ शिक्षक साझा मंच रैली निकालकर प्रदेश भर में हुए युक्ति युक्तकरण की विसंगतियों और विकास खंड युक्ति युक्तकरण समिति से लेकर जिला स्तरीय युक्ति युक्तिकरण समिति ,संभाग स्तर पर संयुक्त संचालक शिक्षा के स्तर पर हुईं आनियमिताओं और शिक्षा सचिव के सर्कुलर की धज्जियां उड़ाए जाने के संबंध में साक्ष्य सहित रैली निकालकर ज्ञापन देने की तैयारी है।
संयुक्त संचालक रायपुर ,दुर्ग ने शेष शिक्षकों की कर दी पदस्थापना ·
एक तरह से सरकार के सख्त रुख के चलते तमाम आपत्तियों के उचित निराकरण के बिना ही प्रदेश भर में जिस तरह से युक्ति युक्तकरण किया गया है उसे एक तरह से सरकारी मनमानी ही कहा जाएगा। बिना सूची का प्रकाशन किए , दावा आपत्ति मंगाए बिना जिस तरीके से यह सब किया गया उससे प्रदेश के शिक्षकों में सरकार के प्रति तीव्र आक्रोश व्याप्त है जो कि जाने वाली नहीं है ।
सरकार पहले ट्रांसफर करके निर्विरोध ढंग से शिक्षकों का समयोजन कर सकती थी ·संभागीय संयुक्त संचालक के द्वारा जो आदेश जारी किए गए उसमें शिक्षक एवं व्याख्याओं की पदस्थापना संभाग स्तर पर की गई है । अगर यही कार्य अतिशेष शिक्षकों को स्थानांतरण का अवसर देकर किया जाता तो शायद इतना विरोध का सामना नहीं करना पड़ता । दुर्ग संभाग से शिक्षकों को कबीरधाम ,राजनांदगांव ,बेमेतरा , खैरागढ़ में पोस्टिंग मिली है जिससे वो बहुत नाराज हैं।रायपुर संभाग में रायपुर में पदस्थ शिक्षक एवं व्याख्याता गरियाबंद, देवभोग, धमतरी, महासमुंद भेजे गए हैं।
ट्रांसफर पॉलिसी से बाहर रखने पर भड़के शिक्षक संघ और शिक्षक –
शासन द्वारा केबिनेट में लाए गए स्थानांतरण पॉलिसी से शिक्षकों को बाहर रखने को शिक्षकों ने सरकार की तानाशाही कहा है , स्थानांतरण हेतु कई साल से इंतज़ार कर रहे शिक्षकों ने कहा है कि इस नीति को कोर्ट में चुनौती देंगे ।यह अव्यावहारिक और निंदनीय क्योंकि सरकार अपने चहेतों का ट्रांसफर तो मुख्यमंत्री समन्वय से कर लेती है और वास्तव में जिन्हें जरूरत है उनको नियमों में उलझा कर रखी हुई है। सरकार की नीतियों के खिलाफ इस समय जबरदत गुस्सा है। सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में उचित सलाह देने वाले सही सलाहकारों की कमी है।
शिक्षक संगठनों के निशाने पर है स्थानांतरण पॉलिसी ! ये नीति नहीं अनीति है–
सरकार ने तबादले पर से बैन हटा दिया है। भाजपा कार्यकर्ताओं को बैन हटने का इंतजार था, ताकि वो अपने करीबी रिश्तेदार अधिकारी-कर्मचारियों के तबादला करा सके। मगर तबादला पॉलिसी ऐसी बनाई है कि पार्टी के कई विधायक, और पदाधिकारी संतुष्ट नहीं हैं। सरकार ने यह साफ कर दिया है कि शिक्षक, पुलिस, वन, खनिज, और परिवहन विभाग के तबादलों पर रोक जारी रहेगी। ऐसे में पार्टी के लोग ही तबादले पर से रोक हटाने के औचित्य पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।
पार्टी के नेता बताते हैं कि वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद चुन-चुनकर भाजपा पदाधिकारियों के करीबियों का तबादला किया गया
था, और उन्हें दूर-दराज इलाकों में पदस्थ किया गया था। सरकार बदलने के बाद ये सभी वापसी के लिए प्रयासरत थे। विशेषकर शिक्षा विभाग के सैकड़ों की संख्या में तबादले के आवेदन आ चुके हैं। मगर स्कूलों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया चल रही है। यही वजह है कि शिक्षकों के तबादलों पर रोक लगा दी गई है।
इसी तरह परिवहन, खनिज, और वन विभाग के तबादलों को लेकर विधायक और पार्टी के पदाधिकारी उम्मीद से थे। मलाईदार पोस्टिंग के लिए अफसर भाजपा पदाधिकारियों के आगे-पीछे हो रहे थे, लेकिन रोक जारी रहने से पदाधिकारी अफसर मायूस हैं। कुछ पदाधिकारियों ने पार्टी संगठन तक अपनी बात पहुंचाई है। देखना है आगे क्या होता है।