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एंटीबायोटिक्स दवाओं के उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एमबीबीएस छात्रों के लिए विश्व एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया

एंटीबायोटिक का तर्कसंगत (Rational) उपयोग अत्यंत आवश्यक है। यदि एंटीबायोटिक का अनुचित या बिना आवश्यकता के प्रयोग किया जाता है, तो रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की गई दवा को निर्धारित अवधि तक ही लेना चाहिए, तभी दवा प्रभावी रहती है।

रायपुर प्रवक्ता.कॉम 22 नवम्बर 2025

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पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर के फार्माकोलॉजी एवं माइक्रोबायोलॉजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में विश्व एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

फार्माकोलॉजी विभाग के लेक्चर हॉल में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. विवेक चौधरी ने किया। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि एंटीबायोटिक का तर्कसंगत (Rational) उपयोग अत्यंत आवश्यक है। यदि एंटीबायोटिक का अनुचित या बिना आवश्यकता के प्रयोग किया जाता है, तो रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की गई दवा को निर्धारित अवधि तक ही लेना चाहिए, तभी दवा प्रभावी रहती है।


फार्माकोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. उषा जोशी ने बताया कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) वह स्थिति है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी जैसे सूक्ष्मजीव, दवाओं (जैसे – एंटीबायोटिक्स) के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं, जिससे संक्रमण का इलाज करना मुश्किल या असंभव हो जाता है। इसी उद्देश्य को लेकर एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस अवेयरनेस वीक हर वर्ष 18 से 24 नवंबर के बीच मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बढ़ते एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाना और संक्रमण नियंत्रण के सर्वोत्तम तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने कहा कि एंटीमाइक्रोबियल स्टीवर्डशिप एक समन्वित कार्यक्रम है, जो एंटीमाइक्रोबियल के उचित उपयोग को बढ़ावा देता है, मरीजों के उपचार परिणामों में सुधार करता है तथा मल्टीड्रग रेजिस्टेंस जीवों के प्रसार को रोकने में सहायक है।
एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिखा जायसवाल ने एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) के विभिन्न कारणों और उसके बचाव के तरीकों के बारे में बताया।  माइक्रोबायोलॉजी विभाग की ओर से डॉ. रूपम गहलोत ने एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के वैश्विक भार (Global burden) के बारे में बताया। उन्होंने कहा समय रहते इस दिशा में सकरात्मक प्रयास नहीं किया गया तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। इसके साथ ही एंटीबायोटिक की विकास यात्रा के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया। 


कार्यक्रम में डॉ. ओंकार खंडवाल, डॉ. शुभ्रा अग्रवाल, डॉ. नेहा श्रीवास्तव, डॉ. माया रामटेके, डॉ. संदीप अग्रवाल एवं पीजी डॉक्टरों सहित विभिन्न कक्षाओं के 250 से अधिक एमबीबीएस छात्र- छात्रा मौजूद रहे।कार्यक्रम के अंत में एंटीबायोटिक के सीमित एवं तर्कसंगत उपयोग को बढ़ावा देने हेतु सभी प्रतिभागियों को शपथ दिलाई गई। इसी कड़ी में चिकित्सा छात्रों के लिए पोस्टर प्रतियोगिता, क्विज़ और स्लोगन कंपटीशन का आयोजन किया गया, जिसका समापन पुरस्कार वितरण के साथ हुआ।

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