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आईएएस बेटे की सफलता में मां के त्याग और समर्पण की अदभुत हिस्सेदारी जिसे पढ़कर आप भी कहेंगे मां तुझे प्रणाम !

प्रवक्ता.कॉम बिहार 28अप्रैल 2025

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देश की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित आईएएस की परीक्षा देकर अधिकारी बनने की चाहत और आंखों में सपने लिए हर साल देश के लाखों युवा इस परीक्षा को क्लियर करने के लिए मेहनत करते हैं । इनमें से कुछ को ही मंजिल मिल पाती है ।

नवादा, बिहार के रवि राज ने कमाल कर दिखाया है। उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा में 182वीं रैंक हासिल की है। रवि की यह सफलता इसलिए भी खास है क्योंकि वे देख नहीं सकते और उन्होंने जिस तरह अपनी मां के साथ मिलकर सिविल सर्विस की तैयारी की वह अपने आप में मिसाल है।

रवि राज की कहानी असाधारण है –
यूपीएससी परीक्षा में सफल होने की कहानियां या सक्सेस स्टोरी अक्सर इंटरनेट पर वायरल होती रहती हैं। इस साल भी हाल ही में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट जारी हुआ है और कई स्टूडेंट्स उनकी शानदार सफलता को लेकर चर्चा में आ गए हैं लेकिन ऐसी यूपीएससी आईएएस सक्सेस स्टोरीज में से एक कुछ ऐसी होती हैं जो वाकई सोचने पर मजबूर कर देती हैं। ऐसी कहानियां किसी को भी उत्साह से भर सकती हैं, ऐसी ही कहानी है पिछले साल यूपीएससी का एग्जाम क्रैक करने वाले बिहार के रवि राज की, जिनकी मां ने उन्हें यूपीएससी की सीढ़ियां चढ़ते हुए हर कदम पर सहारा दिया और मां बेटे दोनों ने मिलकर यूपीएससी एग्जाम को क्रैक कर दिया।


बिहार के नवादा के एक युवा उम्मीदवार रवि राज ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 182वीं रैंक हासिल करके असाधारण उपलब्धि हासिल की है ।रवि की सफलता की यात्रा अथक समर्पण और उनकी मां विभा सिन्हा के अटूट सपोर्ट की कहानी है, जो उनकी आंखें और उनकी राइटर बन गई। हर दिन, वह स्टडी मटीरियल को जोर से पढ़ती थीं और रवि उन्हें सुनते थे और फिर उनके बोले गए उत्तरों को मां प्रैक्टिस कराने के दौरान लिखती भी थीं, यह दोनों काम मां-बेटे की तैयारी के अभिन्न अंग थे। शारीरिक और इमोशनल चुनौतियों के बावजूद, दोनों ने कभी हार नहीं मानी।

मां विभा सिन्हा की इस दौरान कैसी थी दिनचर्या मां ठान ले तो क्या कुछ नहीं कर सकती है –
उनकी अनूठी अध्ययन दिनचर्या में विभा खाना बनाते समय रवि के लिए YouTube लेक्चर चलाती थीं और बाद में उनके उत्तरों को लिखने और रिकॉर्ड करने में उनकी मदद करती थीं। रोजाना 10 घंटे की पढ़ाई, दृढ़ निश्चय और अपने अटूट बंधन के साथ, रवि और उनकी मां ने चुनौतियों को जीत में बदल दिया।

रवि ने क्या कुछ कहा अपनी मां के लिए

रवी कहते हैं, “मेरी सफलता में मेरी माँ का उतना ही योगदान है जितना मेरा। उन्होंने खुद भी एक छात्रा की तरह पढ़ाई की ताकि मैं आगे बढ़ सकूं।” रवी का सपना अब IAS बनकर समाज के जरूरतमंद लोगों की मदद करना है। उनकी कहानी एक बेटे की मेहनत और माँ के अटूट साथ की शानदार मिसाल है।

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