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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ छत्तीसगढ़ प्रांत संघ शिक्षा वर्ग का समापन , संघ की यात्रा उपेक्षा से आपेक्षा तक – नारायण नामदेव

संघ की यह गाथा 100 वर्षों से सारे झंझावातों को झेलते हुए “ उपेक्षा से लेकर समाज की अपेक्षा तक पहुंची है ’’ जिसमें समाज को सबल बनाना,सामर्थ्यशाली बनाना ही संघ का मुख्य उद्देश्य है


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कोरबा प्रवक्ता.कॉम 2 जून 2025


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य विस्तार का एक बड़ा आधार प्रतिवर्ष ग्रीष्मकल में लगाए जाने वाले संघ शिक्षा वर्गों को माना जाता है। संघ द्वारा गर्मियों में प्रतिवर्ष लगाए जाने वाले प्रशिक्षण वर्गों की श्रृंखला में इस वर्ष छत्तीसगढ़ प्रांत में सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (बुधवारी) कोरबा में संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) दिनांक 17 मई 2025 भोजन पूर्व से प्रारंभ होकर 01 जून को समापन कार्यक्रम पश्चात 02 जून 2025 प्रातः को दीक्षांत कार्यक्रम के बाद वर्ग संपन्न होगा।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने वर्ष 2024 से संघ शिक्षा वर्ग के नाम में बदलाव के अलावा पाठ्यक्रमों में भी बदलाव किया है। प्रथम वर्ष को “संघ शिक्षा वर्ग“, द्वितीय वर्ष को “कार्यकर्ता विकास वर्ग एक“ और तृतीय वर्ष को “कार्यकर्ता विकास वर्ग दो“ कहा जाएगा। इस वर्ष कोरबा में छत्तीसगढ़ प्रान्त का संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) आयोजित हुआ है जिसकी अवधि 15 दिन है, यह वर्ग पूर्व में 20 दिन का हुआ करता था।
इस संघ शिक्षा वर्ग में संघ के सभी आयु के कार्यकर्ताओं विशेषकर शालेय एवं महाविद्यालीन विद्यार्थी, कर्मचारी, व्यवसायी और कृषक वर्ग को संघ की रीति नीति, विचार, कार्यप्रणाली से परिचित कराने के साथ ही भारत के गौरवशाली इतिहास, प्रातः स्मरणीय महापुरुषों , वीरांगनाओं, संतो, वैज्ञानिकों, स्वाधीनता के लिए प्राणों की आहुति देने वालों सहित महान नर-नारियों का स्मरण किया गया। देश की पवित्र नदियों , पर्वत श्रृंखलाओं, तीर्थ का स्मरण करते हुए देश व समाज के लिए स्वयं के समर्पण का संकल्प इस प्रशिक्षण से लिया गया।


संघ शिक्षा वर्ग में छत्तीसगढ़ प्रांत के सभी 34 जिलों से कुल 472 शिक्षार्थियों ने 15 दिन अपने घर से दूर रहकर संगठन व समाज हेतु कार्य करने का प्रशिक्षण प्राप्त किये। घंटाघर , अंबेडकर प्रांगण, कोरबा में आयोजित समापन कार्यक्रम में भीषण गर्मी के बीच संघ के स्वयंसेवकों ने 45 मिनट बिना रुके गणसमता, पदविन्यास, निःयुद्ध, दंड-संचालन, दंडयुद्ध, खेल, योगासन, सामूहिक समता की शारीरिक प्रात्यक्षिक प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमान सुभाष त्रिपाठी जी ( वरिष्ठ पत्रकार रायगढ़ ) ने कहा कि भारतीय सेना के लिए पहले राष्ट्र वैसे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए सबसे पहले राष्ट्र सर्वोपरि है जिन्होने 100 वर्ष की यात्रा मे मानवीय संवेदना के क्षेत्र मे एक अलग पहचान बनाई है इनके जैसा कोई ओर दूसरी संगठन नहीं हो सकता क्योंकि संघ मे ही राष्ट्र भक्ति और अनुशासन दिखाई देता है |विशेष कर प्राकृतिक आपदा के दौरान जैसे भूकंप ,बाढ़ ,एवं कोरोना मे संघ के स्वयंसेवकों ने अपनी मानवीय संवेदना दिखाई हैं संघ भारत ही नहीं बल्कि विश्व पटल मे अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है |


कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्रीमान नारायण नामदेव जी ( सह प्रांत प्रचारक,छत्तीसगढ़ )_ ने कहा कि ऊर्जा नगरी माँ सर्वमंगला के सानिध्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह संघ शिक्षा वर्ग 15 दिवसीय कार्यक्रम बहुत ही श्रेष्टम अर्हताओ को पूर्ण करते हुए संपन्न हो रहा है | जो आप सभी ने अभी शारीरिक प्रदर्शन देखा यह एक प्रशिक्षण पद्धति का एक भाग है | जिससे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ सामाजिक स्वास्थ्य भी बना रहे, क्योंकि शक्ति का विरोधी और दुष्ट शक्तियों के सामने ये प्रदर्शन आवश्यक है | यह कोई संघ ने नया काम प्रारंभ नहीं किया, यह तो सनातन काल से जो हमारे वेद पुराणों में वर्णित है, जो संत-महंतों ने, महापुरुषों ने, क्रांतिकारियों ने हमारे समक्ष पूर्व काल में जो आदर्श रखा है उसी को आधार मानकर संघ आगे बढ़ रहा है |
संघ की यह गाथा 100 वर्षों से सारे झंझावातों को झेलते हुए “ उपेक्षा से लेकर समाज की अपेक्षा तक पहुंची है ’’ जिसमें समाज को सबल बनाना,सामर्थ्यशाली बनाना ही संघ का मुख्य उद्देश्य है | लोक के कारण तंत्र है,तंत्र के कारण लोक नहीं, इसलिए लोकतंत्र को मजबूत बनाना ही होगा | संघ यही कार्य में लगा है |
आज देश में जनजाति समाज में भी कुछ षडयंत्री और विघ्न संतोषी लोगों के कारण जो वैमनस्य फैलाने की कोशिश हो रही थी, वह भी हो रहे हैं, वनवासी भाई-जनजाति भाई भी अपने मूल धारणा में प्रकृति पूजा-अपने रीति रिवाज, परंपरा का पालन करते हुए अपनी पुरानी सनातन पूजा पद्धति का संरक्षण कर देश के साथ खड़ा हो रहा है |


देश में मातृशक्तियों का योगदान प्रारंभ से ही अतुलनीय रहा है | अहिल्या देवी होलकर से लेकर आज विंग कमांडर व्योमीका सिंह , कर्नल सोफिया कुरैशी के ऑपरेशन सिंदूर तक हमने अनुभव किया है, यह हमारे लिए बहुत ही गर्व का संदेश है |
संघ के साथ सारा समाज अब जुड़कर कार्य करने के लिए तैयार है,और हम ही अपनी उपलब्धता नहीं कर पा रहे हैं इसलिए स्वयंसेवकों को और अधिक त्याग समर्पण के साथ कार्य करने की आवश्यकता है|
संघ शताब्दी वर्ष-निमित्त अपनी जनशक्ति के अनुशासनबद्ध शक्ति संचय के साथ-साथ घर-घर संपर्क भी करेगा | सद्भाव बैठकें भी हर विकासखण्ड में करेंगे , और मंडल-मंडल बस्ती-बस्ती हिंदू समाज का मनोबल बढ़ाने के लिए हिंदू सम्मेलन भी करेंगे | युवाओं में देश समाज के प्रति त्याग समर्पण के साथ-साथ काम करने और नैतिक मूल्यों के आधार पर अपनी जीवन रचना बनाएं,ऐसे युवा सम्मेलन भी होंगे |
शताब्दी वर्ष शाखों का भी विस्तार के साथ-साथ गुणवत्ता पर भी काम कर रहे हैं |
समाज के सभी प्रकार के प्रश्नों का उत्तर दे सके, इतना मजबूत आधार खड़ा करने की आवश्यकता है |
इसलिए स्वयंसेवक – स्वयं और स्वयं के परिवार को पहले समाज परिवर्तन के लिए तैयार कर रहे हैं , जिससे सामाजिक-समरसता , परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण स्व का बोध, स्वदेशी का अनुकरण और नागरिक अनुशासन इन विषयों पर कार्य कर रहे हैं |
अब समय आ गया है कि अब हिंदू समाज को जागृत होना पड़ेगा , सारे भेद और स्पर्धा भूल कर हिंदुत्व के शाश्वत मूल्य के आधार पर व्यक्तिगत,पारिवारिक, सामाजिक और आजीविका जीवन के आधार पर एक सामर्थ्य संपन्न, नीति संपन्न, वैभव संपन्न भारत खड़ा करना है, क्योंकि विश्व को नई राह की प्रतीक्षा है , क्योंकि विश्व को देना है भारत का यानी हिंदू का ईश्वर प्रदत्त कर्तव्य है | कृषि क्रांति हो गई ,उद्योग क्रांति हो गई, विज्ञान और तकनीकी की क्रांति भी हो गई, अब धर्म क्रांति की आवश्यकता है | मैं कोई रिलिजन की बात नहीं कर रहा हूं- सत्य, सुचिता, कल्याण व तपस के आधार पर मानव जीवन की पुनः रचना हो इसकी विश्व को आवश्यकता है | और भारत उसका पथ प्रदर्शक हो , संघ कार्य के महत्व को हम समझें, मैं और मेरे परिवार के दायरे से बाहर आकर अपने जीवन का उदाहरण बनाकर सक्रिय होकर सबको साथ में आगे बढ़ना चाहिए | इसकी आवश्यकता है | क्योंकि शरीर अस्वस्थ होने पर ही व्यायाम प्राणायाम की आवश्यकता नहीं वरन हमेशा स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है | यह कार्य गंगाजल की तरह है | गंगाजल से भूमि की सिंचाई होती है, फसले ,सब्जियां लहलहाती है, वैभव संपन्नता आती है, ऊर्जा का उत्पादन होता है, प्रकाश सभी प्रकार से फैलता है | भूमि के उपजाऊ के साथ-साथ धन ,यश, वैभव की समृद्धि आती है , और गंगा में डुबकी लगाने से पाप मुक्त हो जाते हैं | पुण्य की भी प्राप्ति होती है, उसी प्रकार संघ कार्य गंगा के समान है, जो इस संघ गंगा में डुबकी लगाते हैं उनका जीवन सार्थक सफल और पुण्य को प्राप्त करते हैं | इसलिए हम सब इस पुनीत कार्य में संपूर्ण समाज को लेकर सज्जन शक्ति, मातृशक्ति, सुप्तशक्ति को समाज उपयोगी बनाकर काम कर करें, और अपने देश अपनी मां भारती को उच्च सिंहासन पर प्रतिष्ठित करें |
मंच पर माननीय सर्वाधिकारी श्री सुदामा चंद्रा ,मुख्य अतिथि श्री सुभाष त्रिपाठी ,मुख्य वक्ता श्री नारायण नामदेव ,जिला संघचालक डॉ विशाल उपाध्याय उपस्थित थे। वृत्त कथन वर्ग कार्यवाह श्री दिलेश्वर उमरे एवं आभार प्रदर्शन सर्वव्यवस्था प्रमुख श्री राजेन्द्र अग्रवाल ने किया। संघ शिक्षा वर्ग में 472 स्वयंसेवक शिक्षार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ प्रान्त एवं मध्य क्षेत्र के अधिकारी एवं अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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