स्कूल शिक्षा सचिवालय ने संचालक लोक शिक्षण को न्यायालय की अवमानना सहित सभी प्रकरण पर कार्यवाही के दिए निर्देश
उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन की प्रक्रिया प्रारंभ, सरकार ही बचा सकती है बी. एड. योग्यताधारी शिक्षकों की नौकरी, शिक्षा सचिव के विरुद्ध दाखिल अवमानना याचिका पर कोर्ट ने दिया निर्णय
प्रवक्ता.कॉम /दिनांक/ 30.12.24
आज छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय के अवर सचिव ने डी .एड .अभ्यर्थी ओम प्रकाश साहू के न्यायालयीन अवमानना याचिका, सिविल क्रमांक 970/2024 और माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट केस नंबर 970/2024 दिनांक 10.12.24 तथा उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका क्रमांक wps no 7344/2023 में पारित आदेश दिनांक 02.04.24
का संदर्भ देते हुए संचालक लोक शिक्षण संचालनालय को निर्देश दिया है कि उच्च न्यायालय द्वारा डी,. एड .अभ्यर्थियों द्वारा दाखिल याचिका में पारित निर्णय का अवलोकन करें , तथा उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 10.12.24 का अवलोकन करते हुए आदेश की अंतिम पैरा के अनुसार उक्त आदेश का पालन करते हुए की गई कार्यवाही से उन्हें अवगत कराने का लेख किया गया है।
स्कूल शिक्षा सचिवालय के हरकत की वजह जाने –
इतने दिनों से न्यायालय का निर्णय आने के बाद भी डी एड योग्यताधारी शिक्षकों को नियुक्ति देने के संबंध में शासन की हीला हवाली पर कोर्ट भी नाराजगी व्यक्त कर चुका है।
अब अचानक पहली बार सचिव की तरफ से अवर सचिव को निर्देश जारी करने की जरूरत तब पड़ी जब याचिकाकर्ता ओम प्रकाश साहू ने सचिव स्कूल शिक्षा ,सिद्धार्थ कोमल परदेशी को व्यक्तिगत नाम से न्यायालय में पार्टी बना दिया।
अब क्या होगा प्रकरण में –
अवर सचिव ने अपने निर्देश में साफ साफ लोक शिक्षण संचालक को न्यायालय के निर्देश का अध्ययन कर पालन प्रतिवेदन अर्थात की गई कार्यवाही से अवगत कराने को कहा है।
इसका अर्थ यह है कोर्ट के निर्णय के अनुसार बी. एड. की योग्यताधारी शिक्षकों की सेवा के संबंध में न्यायालय के निर्णय का पालन करना ही होगा।
डी. एड .अभ्यर्थियों को रिक्त पदों पर नियुक्ति देने की कार्यवाही करनी होगी।
बीएड योग्यताधारी शिक्षकों के लिए रास्ता केवल सरकार ही निकाल सकती है ·
इस प्रकरण में न्यायालयीन निर्णय एकदम से क्लियर कट है कि बी एड की डिग्रीधारी , प्राथमिक शालाओं में शिक्षक नहीं बन सकते। लिहाजा इस विषय में विभाग को हर हाल में न्यायालय के निर्णय का पालन करना ही होगा।
अगर सरकार इच्छा शक्ति दिखाते हुए मानवीय आधार पर बी .एड .योग्यताधारी शिक्षकों को कहीं समायोजित करती है तभी उनकी नौकरी सुरक्षित रह सकती है ।