शिक्षकों ने किया मंत्रालय घेराव सरकार के इस टर्म में पहली बार इतना बड़ा आंदोलन बनेगी चुनौती शिक्षा के क्षेत्र में फैली अव्यवस्था पर कब जाएगी सरकार की नजर
सरकार बनने के बाद सबसे बड़ा प्रदर्शन सरकारी नीतियों को सीधी चुनौती ,शिक्षा विभाग में अव्यवस्था का है आलम ·शिक्षा आयोग ,शिक्षा मंत्री के पद भी रिक्त हैं
रायपुर प्रवक्ता कॉम 28 मई 2025
सरकार के विरुद्ध युक्ति युक्तकरण की विसंगतियों को दूर करने सहित चार सूत्रीय मांगों की पूर्ति लिए 23 संगठनों के साझा मंच के द्वारा दिए गए एक सप्ताह के अल्टीमेटम बेअसर रहने के बाद आज छत्तीसगढ़ के नया रायपुर में स्थित धरना स्थल तूता पहुंचे प्रदेश भर के लगभग 12 हजार से अधिक शिक्षकों ने अपने पूर्व घोषित मंत्रालय घेराव की योजना के अनुसार दोपहर बाद मंत्रालय की ओर बढ़ गए हैं ,पुलिस और पैराफोर्स के जवानों की तगड़ी सुरक्षा घेरे के बीच धक्का मुक्की हुई उसके आक्रोषित शिक्षकों का समूह नारेबाजी करते हुए मंत्रालय की तरफ बढ़ गई है।

आखिर ऐसी स्थिति क्यों बनीं ·
सरकार से शिक्षकों ने युक्ति युक्त करण की विसंगति को दूर करते हुए 2008 के सेटअप के अनुसार शिक्षकों की व्यवस्था की मांग की थी जिसे सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अलग अलग प्रावधान और शिक्षा का अधिकार कानून 2009 का हवाला देकर खारिज कर दिया ।सरकार के शिक्षा विभाग ने बकायदा प्रेस विज्ञप्तियां जारी कर युक्ति युक्तकरण को शिक्षा की गुणवत्ता के लिए सही कदम बताया यहां तक मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव शिक्षा सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने भी बयान जारी कर इसे सही कदम करार दिया है । सरकार ने पहले चरण में 10463 स्कूलों को युक्ति युक्तकरण भी कर दिया है ,इसके साथ ही इन इन स्कूलों में पदस्थ प्रधान पाठक महत्वहीन हो गए हैं। देखें आदेश स्कूल युक्ति युक्तकरण से संबंधित


सरकार बनने के बाद सबसे बड़ा प्रदर्शन सरकारी नीतियों को सीधी चुनौती ,शिक्षा विभाग में अव्यवस्था का है आलम ·शिक्षा आयोग ,शिक्षा मंत्री के पद भी रिक्त हैं –

एक तरफ जहां सरकार शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता का ढिंढोरा पीट रही है उसी सरकार ने शिक्षकों को तीन साल तक कोई स्थानांतरण नीति नहीं दिया जबकि बेक डोर से से मनमाने स्थानांतरण होते रहे । सरकार ने 34 से अधिक निगम मंडलों में अपने चहते नेताओं की नियुक्ति लेकिन जिस शिक्षा विभाग का बजट 21 हजार करोड़ से ज्यादा है , जहां पर दो लाख शिक्षक और 20 लाख से अधिक विद्यार्थी हैं । राज्य में शिक्षा आयोग के अध्यक्ष तक की नियुक्ति नहीं कर सकी है जो यह बताती है कि सरकार शिक्षा के प्रति कितनी गंभीर है । सरकार में वरिष्ठ बीजेपी नेता बृजमोहन अग्रवाल के शिक्षा मंत्री से इस्तीफे के बाद साल भर में मंत्री तक नहीं बनाया जाना क्या साबित करता है ।यही नहीं पड़ोसी राज्य में शिक्षकों के लिए सभी सुविधाएं दी जा रही हैं समय पर पदोन्नति स्थानांतरण ,बीमा योजना ,पूर्व सेवा की गणना हो रही है जबकि यहां कुछ भी सही नहीं हो रहा है।
सरकार के पास शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर सलाहकार नही है –
छत्तीसगढ़ की स्कूली और उच्च शिक्षा में सरकार को सबसे बेहतर ग्राउंड स्तर की सलाह दे और उस हिसाब से नीतियां बनाई जाएं इसके लिए कोई भी काबिल टीम नहीं है। यह इस बात से साबित भी हो गई कि सरकार को 2085 बी एड योग्यताधारी शिक्षकों के भर्ती में सुप्रीम कोर्ट से मुंह की खानी पड़ी ।जब अधिकारियों को पता था कि बी एड की योग्यता प्राइमरी एकुजेशन में मान्य नहीं होगी यह जानते हुए भी उन्होंने भर्ती क्यों की इसकी कोई जांच नहीं हुई । बाद भी इनकी सेवा समाप्त कर डी एड शिक्षकों को प्रयोगशाला सहायक बनाना पड़ा जिससे राज्य की बजट पर अतिरिक्त बोझ पड़ा ।जबकि जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। यही हाल अन्य नीतियों के क्रियान्वयन ने है । छत्तीसगढ़ में कई साल से शिक्षा महकमे में अधिकारी मलाई खाते डी पी आई ,डी ई ओ , बी ईओ बने हुए हैं । प्रतिनियुक्ति अवधि के बाद भी उच्च पद पर है जिन्हें हटाया ही नहीं जा रहा है क्योंकि किसी को कोई सरोकार ही नहीं है। लिहाजा खामियाजा भी सही समय में सरकारों को भुगतना ही पड़ता है। चाहे वो बी जे पी हो या कांग्रेस।
सत्ता और संगठन दोनों को पता है असलियत ·
छत्तीसगढ़ में धीरे धीरे सरकार के प्रति बढ़ता असंतोष किसी से छिपा नहीं है !यह भी नहीं है सब को पता है ,पर कोई भी खुलकर बोल नहीं रहा है। राज्य के पेंशनर सहित बाकी कर्मचारियों को भी डी ए एरियर नहीं देने को लेकर बड़ा ही उबाल है आखिरकार यह अब सरकार के हेल्थ के लिहाज से ठीक नहीं है ।