कबीरधाम प्रवक्ता .कॉम 18 अप्रैल शुक्रवार 2025
सरकारी नियंत्रण से पूरी तरह बाहर हो चुके जिले में संचालित निजी स्कूल संचालकों की मनमानी नए शिक्षा सत्र प्रारंभ होने के साथ ही एक बार फिर शुरू हो गई। आलम से ये है कि कवर्धा सहित जिले में संचालित नामचीन निजी स्कूल संचालकों द्वारा नियम कायदों को ताक में रखकर स्कूल शिक्षा के नाम पर सीधे तौर पर पालकों की जेबों में डांका डालकर एक प्रकार से उनसे अवैध उगाही की जा रही है। हैरानी की बात तो यह है कि इस बात की लिखित शिकायत पीडि़त पालकों द्वारा सीधे संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग दुर्ग से किए जाने के बाद भी न तो जिले के निजी स्कूल संचालकों की मनमानी पर कोई रोक लगाई जा रही है और न ही पालकों के हित में कोई कार्यवाही ही की जा रही है। सीधे आम लोगों व बच्चों के भविष्य से जुड़े इस बेहद गंभीर मुद्दे को उठाते हुए प्रदेश युवा कांग्रेस के सचिव आकाश केशरवानी ने बताया कि हाल ही में जिले पालकों ने संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग दुर्ग के नाम एक लिखित आवेदन सौंपकर शिकायत दर्ज कराई है। जिला मुख्यालय कवर्धा में संचालित अधिकांश निजी स्कूल संचालक आपसी सांठगांठ कर न सिर्फ नए शिक्षा सत्र 2025-26 के लिए 10 से 15 प्रतिशत की फीस बढ़ोत्तरी कर रहे हैं बल्कि शिक्षा के नाम पर अपनी दुकाने खोलकर पालकों को नियम विरूद्ध निजी प्रकाशकों की मंहगी से मंहगी पुस्तकें खरीदने बाद्ध कर रहे हैं। श्री केशरवानी ने बताया कि पालकों की इस शिकायत के बाद संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग दुर्ग ने बकायदा एक पत्र जिला शिक्षा अधिकारी कबीरधाम के नाम जारी कर यह स्पष्ट किया है कि शासन के आदेशानुसार छत्त्ीसगढ़ बोर्ड से संबद्धता प्राप्त विद्यालयों को एससीईआरटी एवं सीबीएसई बोर्ड से संबद्धता प्राप्त विद्यालयों को केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा दिनांक 12.08.2024 को जारी अधिसूचना के अनुसार संबद्धता उपनियम 2.4.7 में संशोधन जारी किया गया है, जिसके अनुसार कक्षा पहली से 10 वीं तक एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों का उपयोग किया जाना है। लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि कबीरधाम जिले में संचालित निजी स्कूल संचालकों द्वारा शासन के इस फरमान को दरकिनार कर कमीशानखोरी करने निजी प्रकाशकों की मंहगी से मंहगी पुस्तकें पालकों को अपनी चिन्हांकित दुकानों से खरीदने मजबूर किया जा रहा है। जिसके खिलाफ स्कूल शिक्षा विभाग कबीरधाम व प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
निजी स्कूल संचालकों को भाजपा सरकार का खुला संरक्षण
युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव आकाश केशरवानी ने बताया कि शिकायत के बाद संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग दुर्ग ने निजी स्कूलों की पुस्तकों को लेकर तो स्कूल शिक्षा विभाग कबीरधाम को निर्देश जारी किए हैं लेकिन जहां तक पालकों से मनमानी फीस वसूली का सवाल है तो इस पर स्कूल शिक्षा विभाग से लेकर संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग दुर्ग तथा प्रदेश सरकार चुप्पी साधे बैठी है। जिसका बेजा फायदा उठाते हुए निजी स्कूल संचालकों ने नए शिक्षा सत्र 2025-26 के लिए 10 से 15 प्रतिशत की फीस बढ़ोत्तरी कर दी है। जिससे मजबूर और लाचार पालकों के सामने गंभीर समस्या खड़ी हो गई है और अब वे अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं। स्थिति ये है कि पालक न तो अपने बच्चों को इन निजी स्कूलों से निकाल पा रहे हैं और न ही उन्हें यहां के किसी अन्य निजी स्कूलों में दाखिला दिला पा रहे हैं। क्योंकि कवर्धा शहर के प्राय: सभी स्कूलों में आपसी सांठगांठ के चलते खुलेआम मनमानी फीस वसूली का गोरखधंधा चल रहा है। श्री केशरवानी ने बताया कि निजी स्कूल संचालक फीस के नाम पर तो पालकों को लूट ही रहे हैं साथ ही उनके द्वारा मनमानी ट्रांसपोर्टिंग फीस, मेस फीस, स्कूल ड्रेस, जूता, मोजा, टाई, बेल्ट आदि की दुकाने चलाकर भी खुलेआम लूटा जा रहा है। वहीं प्रदेश की भाजपा सरकार इन निजी स्कूल संचालकों को खुला संरक्षण दे रही है। जिसके चलते निजी स्कूल संचालकों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वे पालकों से ये कहने से भी नहीं चूक रहे हैं अगर वे हमारे स्कूल की निर्धारित फीस तथा शर्तो को पूरा नहीं कर सकते तो अपने बच्चे की टीसी कटवा सकते हैं।
पालकों को निजी स्कूल की मंहगी शिक्षा से राहत दिलाने भाजपा सरकार के प्रयास शून्य –
जिलाध्यक्ष एनएसयूआई शीतेश चन्द्रवंशी ने कहा कि भाजपा सरकार का तथाकथित नारा सबका साथ सबका विकास, एक धोखा है। भाजपा चुनाव के समय इस नारे को बुलंद कर आम मतदाताओं का साथ तो लेती है लेकिन चुनाव जीतने के बाद विकास निजी सेक्टरों का किया जाता है। यही वजह है कि भाजपा शासनकाल में दूसरे निजी सेक्टरों की तरह जिले में संचालित निजी स्कूल सरकारी संरक्षण में खुलेआम पालकों को शिक्षा के नाम पर लूट रहे हैं और सरकार तथा उसके नुमाईदे मूक दर्शक बने बैठे हैं। चन्द्रवंशी ने कहा कि हर पालक का ये सपना और प्रयास होता है कि वह अपने बच्चों को बेहतर और अच्छी शिक्षा दे सके। लेकिन आम पालकों के इस सपने को साकार करने में प्रदेश भाजपा सरकार की कोई योजना नहीं दिखाई दे रही है। जिले में संचालित सरकारी स्कूलों की चौपट व्यवस्था और गिरते स्तर को देख आज पालक निजी स्कूलों की शरण में जाने मजबूर है। लेकिन इन निजी स्कूल संचालकों द्वारा सरकार खस्ताहाल व चरमराई सरकारी स्कूल व्यवस्था और पालकों की मजबूरी का बेजा फायदा उठाकर खुलेआम स्कूल शिक्षा का व्यवसाय कर रहे हैं।
कांग्रेस की भूपेश सरकार ने आत्मानंद स्कूल प्रारंभ कर लाखों पालकों को निजी स्कूलों की मंहगी शिक्षा से दी मुक्ति दी थी।