प्रयागराज ज्ञान महाकुंभ से उठी आवाज – “एक राष्ट्र एक नाम, भारत को इंडिया नहीं भारत कहें”
समापन समारोह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होस बोले करेंगे संबोधित छत्तीसगढ़ से डॉ.प्रफुल्ल शर्मा के नेतृत्व में प्रतिनिधि ज्ञान महाकुंभ में शामिल होने प्रस्थान करेंगे
रायपुर प्रवक्ता.कॉम दिनांक 31जनवरी 2025
उत्तर प्रदेश के प्रयाग राज की धरती पर इस वक्त दो महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है । एक महाकुंभ सनातन भक्ति और आस्था के महासंगम का है तो दूसरा महाकुंभ ज्ञान , संस्कृति और भारतीयता के उत्कर्ष का ।दिनांक 10 जनवरी से 10 फरवरी तक यह आयोजन तक आहूत है।
महाकुम्भ से उठी गूंज – भारत को भारत कहेंइंडिया नहीं
हजारों वर्षों सेहमारेदेश का नाम ‘भारत’ है। वेदों, पुराणों, रामायण और महाभारत सहित सभी प्राचीन ग्रंथों मेंहमारेदेश कानाम ‘भारत’ वर्णित है। भारत शब्द सेगौरव और गरिमा की अनुभूति होती है। लेकिन संविधान निर्माण के समय अनेक सदस्यों
के विरोध के बावजूद संविधान मेंभारत नाम सेपहले ‘इंडिया’ नाम जोड़ दिया गया। इंडिया नाम भारत मेंअंग्रेजों के साथआया और उनके द्वारा ही प्रचलित किया गया। यह हमारी औपनिवेशिक दासता का प्रतीक है। इंडिया शब्द सेभारतवासियोंके लिए इंडियन शब्द बना, शब्दकोश में ‘इण्डिया’ शब्द का कोई वास्तविक अर्थप्राप्त नहीं होता हैऔर जो अर्थमिलता है,वह अपमानजनक ही है।
उन्होंनेआगेकहा कि भारत मेंभारतीयता को पुन:स्थापित करनेके उद्देश्य सेशिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने ज्ञान महाकुंभ केअन्तर्गत एक राष्ट्र, एक नाम : भारत विषय पर 1 फरवरी, 2025 कोभारतसरकार के सभी कार्यों में देश का नाम इंडिया नहीं भारत ही प्रयोग किया जाये, इस हेतुराष्ट्रपति जी को पत्र एवं इस मुहिम केलिए वृहद स्तर पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जायेगा।
यह बात शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ अतुल कोठारी नेपत्रकार वार्ताको संबोधित करतेहुए कही।
डॉ कोठारी नेकहा कि वैश्विक तापमान मेंप्रतिकू ल वृद्धि, जलवायुपरिवर्तन और जैव विविधता के असंतुलन जैसी पर्यावरणसंबंधी समस्याएं मानवता केसमक्ष गंभीर चुनौती प्रस्तुत कर रही हैं। औद्योगीकरण, शहरीकरण और उपभोक्तावाद नेवनों कीकटाई, कार्बन उत्सर्जन और भूमि, जल व वायुप्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इसके दुष्प्रभाव हमारेगांवों, कस्बों और शहरों मेंभी स्पष्ट दिखाई देतेहैं। यह विकट स्थिति मुख्यतः प्रकृति के प्रति हमारेलालचपूर्ण दृष्टिकोण के कारण उत्पन्न हुई है।
समकालीन वैश्विक पर्यावरणीय, परिस्थितिकीय तथा जलवायुसंबंधित समस्याओं का समाधान भारतीय संस्कृति, विचार,व्यवहार व जीवन शैली मेंहै। भारत का “हरित” पर्यावरण दृष्टिकोण पंचमहाभूतों की शाश्वतता, सम्यकता तथा परस्परसंतुलनता को स्थापित करता है। ज्ञान महाकुं भ श्रृंखला के तहत, 5-6 फरवरी, 2025 को हरित महाकुं भ समावेशी संवादभारतीय पर्यावरण दृष्टिकोण को अधिक पुष्टता प्रदान करनेतथा पर्यावरण संवर्द्धन, संरक्षण की मूल परंपराओं, जीवन शैली
को पुनर्स्थापित करनेकी दिशा मेंएक महत्वपूर्ण सोपान है। इस हरित महाकुं भ का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवंजलवायुपरिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव करेंगेतथा समापन डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धेजी करेंगे। यह आयोजन सम्पूर्णविश्व कीपारिस्थितिकी, जलवायुतथा जैव विविधता को समृद्ध बनानेके हमारेनागरिक व संस्थागतकर्तव्यों को भी एक प्रेरणादायीदिशा व संबल प्रदान करेगा।
ज्ञान कुंभ में डॉ अतुल कोठारी ने संबोधन में कहा –
ज्ञान महाकुं भ के विषय मेंजानकारी देतेहुए डॉ कोठारी नेकहा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा विगत 10 जनवरीसे10 फरवरी 2025 तक प्रयागराज मेंपवित्र महाकुं भ के समय ‘ज्ञान महाकुं भ’ का आयोजन किया जा रहा है। इस महाकुं भमेंउत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, गुअधिक छात्र एवं सैकड़ों आचार्य, प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षा जगत की नियामक संस्थाओं के प्रतिनिधि आदि भारतीयता
के आलोक मेंदेश की शिक्षा व्यवस्था पर चिंतन-मंथन कर भारतीय ज्ञान परम्परा के आधार पर भारतीय शिक्षा व्यवस्था कापुनर्स्थापना का संकल्प करेंगेएवं पूरेदेश मेंइसेसाकार करनेका प्रयत्न करेंगे। इस आयोजन के मुख्य संरक्षक उत्तर प्रदेशमाननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी एवं अन्य संरक्षक मेंछत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय व उत्तराखण्ड केमुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हैं। यह आयोजन राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज केएमडी व सीईओ आशीष चौहान, एआइसीटीई के अध्यक्ष प्रो टी.जी. सीताराम, महर्षि अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, अमेरिकाके अध्यक्ष डॉ टोनी नाडर, यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रो दीपक श्रीवास्तव की विशेष उपस्थिति व मार्गदर्शन मेंआयोजित कियाजा रहा। न्यास की अध्यक्ष डॉ पंकज मित्तल, संजय स्वामी, एमएनआईटी प्रयागराज के निदेशक प्रो रमा शंकर वर्मा,
आईआईआईटी प्रयागराज के निदेशक डॉ मुकु ल सुतावने, डॉ पूर्णेंदुमिश्र इस ज्ञान महाकुं भ की आयोजन समिति के सदस्य हैं।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा योजनाबद्ध तरीके सेअपनेकार्यकलापों, विभिन्न विषयों मेंन्यास द्वारा किए
जा रहेउत्कृष्ट कार्यों का प्रदर्शन किया जा रहा है। शिक्षा सेआत्मनिर्भरता, महिला कार्य, शैक्षणिक नवाचार, भारतीयभाषाओं के विभिन्न क्षेत्रों मेंप्रयोग जैसे-अनेक विषयों पर देश के अग्रणी शैक्षिक संस्थान प्रदर्शनी तथाप्रस्तुतीकरण केमाध्यम सेइन विषयों को देशभर सेपधारेशिक्षाविदों सेसमक्ष रखेंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह – सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल जी द्वारा उद्घाटन किया जाएगा–
ज्ञान महाकुं भ के समन्वयक संजय स्वामी ने कहा कि इस अवसर पर भारतीय शिक्षा की राष्ट्रीय संकल्पना को
दृष्टिगत रखते हुए अखिल भारतीय सम्मेलन में विशिष्ट त्रि-दिवसीय आयोजन 7-9 फ़रवरी में किया जाएगा।
इसमें7 फ़रवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह – सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल जी द्वारा उद्घाटन किया जाएगा। उन्होंनेआगेकहा कि 7 फ़रवरी के दूसरेसत्र मेंशिक्षा के क्षेत्र मेंशासन प्रशासन की भूमिका पर भी चर्चाहोनी है। 8 फ़रवरी कोशिक्षा क्षेत्र मेंकार्यकर रहेसंत महात्मा, उद्योगपति एवं निजी संस्थानों का समागम रहेगा। साथ ही शिक्षा क्षेत्र मेंमहिलाओं,युवाओं, शिक्षाविद आचार्यों के योगदान पर वृहद्चर्चाकी जाएगी। ज्ञान महाकुं भ के तीसरेदिवस 9 फ़रवरी को भारतीय
ज्ञान परम्परा, आत्मनिर्भर भारत, भारतीय भाषाएँको
समापन समारोह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह करेंगे संबोधित –
समेकित करतेहुए गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। समापन समरोहको राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केसरकार्यवाह दत्तात्रेयहोसबाले तथाबिहारकेमा. राज्यपालआरिफ़ मोहम्मद का सानिध्य प्राप्त होगा।
छत्तीसगढ़ से डॉ.प्रफुल्ल शर्मा के नेतृत्व में प्रतिनिधि ज्ञान महाकुंभ में शामिल होने प्रस्थान करेंगे–
छत्तीसगढ़ से डा प्रफुल्ल शर्मा एवं दिलीप केशरवानी के नेतृत्व में 20 प्रतिनिधि दिनांक 6/02/25 को प्रस्थान करेगा इस के अतिरिक्त हरित महाकुंभ में शामिल होने प्रो., आलोक चक्रवाल (कुलपति )जी के नेतृत्व में 05 प्रतिनिधि दिनांक 04/02/25 को प्रस्थान करेंगे।
छत्तीसगढ़ में लंबे समय से संस्कृति शिक्षा उत्थान न्यास के प्रांत संयोजक डॉ प्रफुल्ल शर्मा ,सहसंयोजक दिलीप केशरवानी एवं न्यास के पदाधिकारी लगातार प्रयाग राज में आयोजित होने वाले ज्ञान महाकुंभ के आयोजन के संदर्भ में विभिन्न आयोजनों के माध्यम से कार्य कर रहे हैं।